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Lungs health issue: पेट्रोल पंप पर तेल भरवाएं लेकिन रहें सावधान, इस वजह से फेफड़े हो सकते हैं खराब

Updated Oct 30, 2020 | 06:10 IST

हर कामकाजी कभी न कभी पेट्रोल पंप अपनी गाड़ी में तेल भराने के लिए जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वहां पर देर तक रुके रहना कैसे आपकी शरीर खासतौर पर फेफड़े को प्रभावित करता है।

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पेट्रोल में बेंजीन का ज्यादा मात्रा फेफड़े पर डालती है घातक असर
मुख्य बातें
  • पेट्रोल में मिलाया जाता है बेंजीन लेकिन ज्यादा मात्रा फेफड़ों के लिए घातक
  • कैंसर, दिल की धड़कन बढ़ना, बेहोशी और भ्रम की स्थित का खतरा
  • नोजल में स्टेप 1 और स्टेप 2 वेपर रिकवरी सिस्टम का होना जरूरी

आम जीवन में हर नौकरीपेशा शख्स अपने दफ्तर जाने के लिए टू ह्वीलर या फोर ह्वीलर का इस्तेमाल करता है। जाहिर है कि अपनी गाड़ी में तेल भरनवाने के लिए हम पेट्रोल पंप पर जाते हैं, कभी कभी तो ऐसा होता है कि लंबे समय तक इंतजार करना होता है। या हम वैसे भी अपने टू ह्वीलर पर बैठकर तेल भराते हैं, लेकिन ऐसा करना हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है, खास तौपर फेफड़े प्रभावित होते हैं। दरअसर पेट्रोले में बेंजीन हमारे फेफड़ों का सबसे बड़ा दुश्मन है। 

शरीर में कैसे दाखिल होता है बेंजीन
हम आपको बताएंगे कि किस किस तरह से बेंजीन शरीर में दाखिल होता है। दरअसल हवा के संपर्क में पेट्रोल के आने की वजह से बेंजीन की मात्रा  हमारे शरीर में प्रवेश करने लगती है। अब आप अगर पेट्रोल पंप पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे और उसमें देरी हो रही तो निश्चत तौर पर ज्यादा मात्रा में बेंजीन आप के शरीर में जा रही है और कहीं न कहीं फेफड़ों पर उसका सीधा असर पड़ता है। ऐसे में सवाल है कि बेंजीन क्यों मिलाया जाता है। दरअसल बेंजीन मिलाने की वजह यह है कि पेट्रोल का वाष्पन कम हो और आक्टेन वैल्यू में इजाफा हो। अब यदि ऐसा है तो पेट्रोल में कितना बेंजीन मिलाया जा सकता है। 


सीमा से अधिक बेंजीन होने पर यह असर

  1. कैंसर 
  2. दिल की धड़कन बढ़ना
  3. बेहोशी
  4. सिरदर्द
  5. भ्रम जैसी स्थिति

कितनी बेंजीन मिलाने की है अनुमति
अगर अंतरराष्ट्रीय मानकों की बात करें तो पेट्रोल में  एक पीपीएम की मात्रा स्वीकृत है, लेकिन व्यवहार में देखा गया है कि कंपनियां इसका उल्लंघन करती हैं। कभी कभी तो जांच में पाया जाता है कि पेट्रोल पंप पप जो तेल आता है उसमें मानक से दस गुना तक ज्यादा बेंजीन मिला होता है और वो हर किसी के लिए परेशानी की वजह बन जाता है। इस संबंध में एनजीटी और सीपीसीबी स,मय समय पर दिशार्देश जारी करते हैं। लेकिन कंपनियां अक्सर दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती हैं।  


क्या कहते हैं जानकार
इस विषय में डॉ जंग बहादुर कहते हैं कि इसमें शक नहीं पेट्रोल में बेंजीन की मात्रा घातक होती है। फेफड़े हवा को फिल्टर करते हैं, लेकिन जब फेफड़े खुद प्रदूषण का शिकार हो जाएंगे तो आप का पूरी इम्यून सिस्टम प्रभावित होगा। बेंजीन की वजह से कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है उसके अलावा जो लोग अस्थमा के शिकार होते हैं उनके लिए मुश्किल और बढ़ जाती है। 

क्या है उपाय
पेट्रोल पंपों पर नोजल के साथ स्टेज-1 और 2 के वेपर रिकवरी सिस्टम लगाना जरूरी है।  इसका फायदा यह होता है कि जो पेट्रोल हवा में मिक्स होतर लोगों के शरीर में दाखिल हो जाता है वो वापस उस गैस को वापस पेट्रोल में मिक्स कर देता है। इसके साथ ही  नोजल पर रबर की अच्छी कवर लगी होती है तो पेट्रोल का नुकसान भी कम होता है। 

अगर आप एक या दो बार पेट्रोल पंप पर जाते हैं तो खतरा कम होता है। लेकिन ऐसे लोग जो पेट्रोल पंप पर काम करते हैं उनके सामने चुनौती ज्यादा होती है। खासतौर से ऐसे लोग  जो पेट्रोल रिफाइनिंग कंपनियों में काम करते हैं, उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा बरतनी चाहिए। बेंजीन की मात्रा कम जाए इसके लिए सबसे बेहतर है कि जब आप पेट्रोल भराने के लिए पेट्रोल पंप पर खड़े हों तो पंप से कुछ दूरी पर खड़ा होना चाहिए। इसके अलावा पेट्रोल में बेंजीन का इस्तेमाल तय मानकों के हिसाब से ही होना चाहिए।