- हमारे भोजन में अनिवार्य रूप से शामिल रहने वाला अनाज है चावल
- चावल के सेवन से कुपोषण की समस्या दूर होगी।
- इसके साथ ही शरीर में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करेगा।
चावल एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसका सेवन भारत में ज्यादातर लोग पसंद करते हैं। पेट भरने वाला ये अनाज कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए प्रोटीन और जिंक जैसे पोषक तत्वों से लैस कर दिया गया है। साथ ही इसकी खेती के लिए भी बढ़ावा दिया जा रहा है। बता दें कि देश में 6 बायोफोटिफाइड किस्म के धान का विकास किया गया है, जो शरीरिक विकास के लिए प्रोटीन और जिंक जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है। अनुसंधान संस्थान की ओर से पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए चावल की छह किस्में विकसित की गई हैं।
चावल में पाए जाने वाले प्रोटीन और जिंक से शरीर रचना की कई क्रियाएं प्रभावित होती हैं। प्रोटीन जो कि शरीर में टिश्यू के विकास और उसकी मरम्मत के लिए अमीनो एसिड तैयार करता है। यह शरीर के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि यह बौद्धिक विकास को प्रभावित करता है। इसकी कमी से लोगों को मौत हो जाती है। ठीक इसी तरह लाइसिन प्रोटीन में ब्लॉक तैयार करता है। इसकी कमी से व्यक्ति में अनेमिया की शिकायत हो सकती हैं और शारीरिक विकास तक रुक सकता है।
राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान संस्थान कटक ने सी आर धान 31० विकास किया है। इसमें 10.3 प्रतिशत प्रोटीन है। आमतौर पर चावल में सात से आठ प्रतिशत प्रोटीन होता है। खास बात है कि धान का यह किस्म खरीफ सीजन के लिए एकदम उपयुक्त है और यह 125 दिनों में भीतर तैयार होता है। इसकी खेती ओडिशा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे शहरों में की जाती है। खेती के अनुसार इसकी पैदावार भी बढ़ती है।
दूसरा किस्म का धान यानी डीडी आर धान 45 में 22.6 पी पी एम जिंक पाया जाता है। जबकि इसमें जिंक की मात्रा 12 से 16 पीपी एम होती है। करीबन 130 दिनों में तैयार होने वाली इस किस्म की धान को भारतीय धान अनुसंध्यान संस्थान हैदराबाद खरीफ सीजन के लिए उपयुक्त मानती है। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कनार्टक जैसी राज्यों में इसकी खेती की जाती है।
डी डी आर धान 48 किस्म की बात करें तो इसमें 22 पी पी एम जिंक हैं। इसका विकास भी भारतीय धान अनुसंध्यान संस्थान हैदराबाद ने ही किया है। यह करीबन 138 दिनों में तैयार हुआ है और करीबन प्रति हेक्टेयर 52 क्विटल पैदावार है। केरल, कर्नाटक तेलंगाना जैसी राज्यों में इसकी खेती की जाती है।
सी आर धान 311 में प्रोटीन और जिंक दोनों पाए जाते हैं। बता दें कि इसमें 10.1 प्रतिशत प्रोटीन और 42 पी पी एम जिंक है। इसका विकास राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान कटक ने किया है। यह करीबन 124 दिनों में तैयार हो गया था। इस किस्म की धान की खेती ओडिशा में की जा रही है।
डी डी आर धान 49 में 25.2 पी पी एम जिंक हैं। यह खरीफ और रबी सीजन दोनों सीजन के लिए उपयुक्त है और इसे करीबन 130 दिनों में तैयार किया गया है। केरल, गुजरात और महाराष्ट्र में इसकी खेती की जाती है। वहीं बात करें चावल एम एस की तो इसमें 27.4 पी पी एम जिंक हैं। इसकी खेती ओडिशा और छत्तीसगढ़ में की जाती है।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए है, इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रुप में नहीं लिया जा सकता। कोई भी स्टेप लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें।)