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Pfizer, Covishield के दोनों डोज कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से मरीज को हॉस्पिटल जाने से कैसे बचाते हैं

बीरेंद्र चौधरी | सीनियर न्यूज़ एडिटर
Updated Jun 16, 2021 | 07:36 IST

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन ही बड़ा हथियार है। वैक्सीनेशन के बीच तरह तरह की शंकाओं के बीच यहां हम बताएंगे कि फाइजर और कोविशील्ड के दोनों डोज अस्पताल जाने की संभावना को किस तरह कम करते हैं।

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फाइजर और कोविशील्ड के दोनों डोज से अस्पताल जाने की संभावना कम हो जाती है।
मुख्य बातें
  • फाइजर और कोविशील्ड पर खास अध्ययन, दोनों डोज अस्पताल जाने की संभावना को कम करते हैं
  • फाइजर और कोविशील्ड के बारे में पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने गहन शोध किया है
  • Covishield वैक्सीन के दोनों डोज लेने वाले 92 फीसदी मरीजों को हॉस्पिटल जाने की जरुरत नहीं

ब्रिटेन के पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने एक नए रिसर्च में दावा किया है कि PFIZER और ASTRA यानी Covishield वैक्सीन के दोनों डोज ने कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से मरीज को हॉस्पिटल जाने से कैसे बचाया है।पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के स्टडी का सबसे महत्वपूर्ण तीन बातें हैं

पहला
ये स्टडी कोरोना के डेल्टा वैरिएंट पर किया गया है।

दूसरा
 PFIZER वैक्सीन के दोनों डोज लेने वाले 96 फीसदी मरीजों को हॉस्पिटल जाने की जरुरत नहीं पड़ती है। यानी PFIZER के दो डोज 96 फीसदी प्रभावी है।

तीसरा
Oxford-AstraZeneca यानी Covishield वैक्सीन के दोनों डोज लेने वाले 92 फीसदी मरीजों को हॉस्पिटल जाने की जरुरत नहीं पड़ती है। यानी Covishield के दो डोज 92 फीसदी प्रभावी है।

इस स्टडी में 14019 कोरोना के डेल्टा वैरिएंट केसों को शामिल किया गया जिसमें 166 केस हॉस्पिटल में था। साथ ही इसका स्टडी अप्रैल 12 से जून 4 के बीच किया गया। इस स्टडी में हॉस्पिटल में इमरजेंसी दाखिले को ध्यान में रखा गया।

इस स्टडी के बारे में इंग्लैंड के Health and Social Care Secretary, Matt Hancock ने कहा है कि:

पहला
 कोरोना महामारी से हजारों लाखों जीवन को बचाने का एक ही तरीका है और वो है वक्सीनशन यानी टीकाकरण।

दूसरा
 इस स्टडी ने साबित कर दिया है कि वैक्सीन के दोनों डोज को लेना कितना जरुरी है।

तीसरा
 लोगों से अपील की है कि आप वैक्सीन के दोनों डोज अपने टर्न के हिसाब से जरूर लें क्योंकि यही हमारे बचाव एक रास्ता है।

इस स्टडी के बारे में Dr Mary Ramsay, Head of Immunisation, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड का कहना है कि :

पहला
 इस महत्वपूर्ण स्टडी ने साफ़ कर दिया है कि यदि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से बचना है तो ये दोनों डोज बहुत ही जरुरी है क्योंकि इसके बाद हॉस्पिटल जाने की नौबत नहीं आ सकती है।

दूसरा
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट या किसी और वैरिएंट से बचना है तो वैक्सीन का दोनों डोज लेना ही होगा क्योंकि यही एक रास्ता है।

इस स्टडी के बारे में ब्रिटेन के Vaccines Minister, Nadhim Zahawi का कहना है कि यदि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट और हॉस्पिटल के लिंक को तोड़ना है तो सिर्फ और सिर्फ एक रास्ता है और वैक्सीन का दोनों डोज।अब असली सवाल है कि भारत के लिए इस स्टडी का क्या महत्त्व है :

पहला 

भारत में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट ने ही अप्रैल और मई में तबाही मचाई है और लाखों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। हाँ ये बात जरूर है कि कोरोना केसों की संख्या घट रही है और डेथ रेट भी घट रहा है। लेकिन कहर अभी भी जारी है।

दूसरा
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने PFIZER और ASTRA यानी Covishield पर स्टडी किया है जिसमें भारत में Covishield वैक्सीन ही उपलब्ध है और PFIZER को लाने के लिए प्रयास जारी है।

तीसरा
भारत में Covishield वैक्सीन का गैप 12 से 16 वीक रखा गया है जबकि ब्रिटेन में गैप को घटाकर 8 वीक कर दिया गया है। यही गैप भारत में विवाद का विषय बना हुआ है।

चौथा
यदि पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के स्टडी को मानते हैं तो ऐसी स्थिति में वैक्सीन के गैप को घटाना ही पड़ेगा यदि हमें कोरोना के डेल्टा वैरिएंट या कोई और वैरिएंट से बचना है।

हम समझते हैं कि भारत सरकार को इस स्टडी पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और वैक्सीन गैप को घटाना चाहिए जिससे हम कोरोना को हरा सकें।