- नकारात्मकता हमारी सेहत को काफी नुकसान पहुंचा सकती है
- नकारात्मक विचार बीमारी से ठीक होने की हमारी क्षमता को प्रभावित करते हैं
- सकारात्मक विचार बीमारी से उबरने में काफी मदद करते हैं
रोज किसी का मूड एक जैसा रहे यह जरूरी नहीं। किसी दिन आप अच्छा महसूस करते हैं तो किसी दिन आपका बिस्तर से उठने तक का मन नहीं करता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे विचारों और भावनाओं का शरीर के साथ सीधा संबंध होता है। अपने विचारों और भावनाओं को पहचानना और उनकी वजह से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर से अवगत होना बेहद जरूरी है। यहां जानें, विभिन्न भावनाएं हमारे मन के अलावा शरीर और पूरे स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालती हैं...
क्रोध में
क्या आपने महसूस किया है कि आपको कभी इतना गुस्सा आया कि आपका ब्लड प्रेशर बढ़ गया हो। जब आप क्रोधित होते हैं तो आपके शरीर के साथ ऐसा ही होता है। यह आपके मेटाबॉलिज्म को काफी कम कर सकता है। यही नहीं, नकारात्मक विचार बीमारी से ठीक होने की हमारी क्षमता को प्रभावित करते हैं।
तनाव में डूबना
इसे सरल शब्दों में कहें, तो जब हम अत्यधिक तनाव से गुजरते हैं, तो हमारा शरीर "फाइट या फ्लाइट" मोड में चला जाता है, जिससे लंबे समय तक परेशानी हो सकती है। हमारा शरीर आसानी से थक जाता है और बीमारियों का शिकार हो जाता है।
उदास होना
कभी आपने सोचा है कि दुखी होने पर आपको अधिक दर्द क्यों होता है? क्योंकि डोपामाइन और सेरोटोनिन के स्तर में एक गिरावट आती है, जो शरीर में दर्द को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है। परेशान होना अक्सर खराब नींद, थकान या किसी शारीरिक बीमारी से जुड़ा होता है।
ईर्ष्या से भरा होना
ईर्ष्या किसी दूसरे को नहीं बल्कि आपको ही जला सकती है। ईर्ष्यालु होने से हम मानसिक और शारीरिक रूप से नकारात्मह को जाते हैं। इससे एक प्रकार का निगेटिव ऑरा पैदा होता है। इससे चिंता और घबराहट पैदा होती है। साथ ही किसी काम पर फोकस न कर पाने की दिक्कत आती है।
प्यार में पड़ना
कभी महसूस किया है कि किसी को देखते ही अपके पेट में गुदगुदी होने लगी हो? ऐसा इसलिये होता है क्योंकि जब आप प्यार में होते हैं तब शरीर में डोपामाइन और ऑक्सीटोसिन रिलीज होने लगता है, जिससे संतुष्टी की भावना पैदा होती है। यह तंत्रिका तंत्र को ठीक करने में मदद करता है और मस्तिष्क की नई कोशिकाओं की वृद्धि कर के स्मृति में सुधार करता है।
जोर से हंसना
हंसी सबसे अच्छी दवा है। यह लोगों को एक साथ मिलाती है और शरीर में एक हेल्दी चेंज पैदा करती है। हंसी तनावपूर्ण मांसपेशियों को आराम देती है, तनाव पैदा करने वाले हार्मोन का उत्पादन कम करती है, रक्तचाप को कम करती है और रक्त में ऑक्सीजन के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करती है।
किसी का आभारी होना
जो कुछ भी आपको मिला है, उसके लिए आभारी होना आपके मनोदशा को बढ़ाती है। कृतज्ञता की यह भावना इम्यूनिटी बढ़ाती है, रक्तचाप कम करती है और पूरे शरीर में तेजी से हील करती है।
मूड और हेल्थ को कैसे बेहतर बनाएं
ऐसे विभिन्न तरीके हैं जिनसे आप अपने इमोशनल हेल्थ को बेहतर बना सकते हैं। इसके लिये समस्या की पहचान करना पहला कदम है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो आपके इमोशनल हेल्थ से निपटने में आपकी मदद कर सकते हैं:
1. अपनी भावनाओं को व्यक्त करना सीखें
यदि आप किसी भी नकारात्मक भावनाओं को महसूस करते हैं जैसे कि क्रोध या उदासी, तो उसे ऐसे किसी व्यक्ति को बताएं जिस पर आप भरोसा करते हैं। यदि वे मदद नहीं कर सकते हैं, तो डॉक्टर या चिकित्सक से मिलें। इन भावनाओं को दबाने से आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर पड़ेगा।
2. संतुलन बनाएं रखें
उन चीजों पर ध्यान दें जिनके लिए आप आभारी हैं। अपने जीवन में आने वाली समस्याओं पर ध्यान न दें। इसका मतलब यह नहीं है कि जब चीजें खराब होती हैं तो आपको खुश होने का नाटक करने की आवश्यकता होती है। नकारात्मक भावनाओं से निपटने के साथ-साथ जीवन में सकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित करना बहुत महत्वपूर्ण है, इस प्रकार एक सही संतुलन बनाना सीखें।
3. आत्म-देखभाल महत्वपूर्ण है
अच्छी इमोशनल हेल्थ के लिये अपने शरीर की देखभाल करना जरूरी है। अपने खाने में हेल्दी चीजों को शामिल करें, पर्याप्त नींद लें और तनाव दूर करने के लिए व्यायाम करें।
4. समय पर डॉक्टर से लें सलाह
यदि नकारात्मक भावनाएं आपको इतना परेशान करती हैं कि वे आपको अपने जीवन का आनंद लेने से रोकें, तो थेरेपिस्ट या काउंसलर से जरूर मिलें। आपका नकारात्मक स्वाभाव आपकी दिमागी हालत के लिये जिम्मेदार हो सकता है।
आपके विचारों और भावनाओं में स्वास्थ्य और जीवन शैली को बदलने की शक्ति है। उन स्थितियों से निपटने के लिए अपने विचारों को सकारात्मक और भावनाओं को संतुलित रखें। एक सकारात्मक दृष्टिकोण नकारात्मक विचारों से निपटने में मदद करता है।
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(यह एक प्रायोजित लेख है)