- ओमीक्रोन डेल्टा वेरिएंट से कम खतरनाक लेकिन अधिक संक्रामक है।
- ओमीक्रोन के मरीजों में पुन: संक्रमण का खतरा अधिक।
- इन लोगों को पुन: कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक, हो जाएं सावधान।
Omicron cases in India: कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर के बाद देश का हाल बेहाल हो चुका है। लाखों की संख्या में लोग इस भयावह वायरस के चपेट में आए और हजारों की तादाद में लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं। हालांकि कोरोना वायरस के नये वेरिएंट B.1.1.529 यानी ओमीक्रोन के मरीजों की संख्या में कमी आई है, लेकिन खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न करार दे चुका है। यह डेल्टा वेरिएंट से कम खतरनाक लेकिन अधिक संक्रामक है। वहीं हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है।
डब्ल्यूएचओ ने लोगों को आगाह करते हुए बताया कि ओमीक्रोन के मरीजों में पुन: संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है यानी जो लोग पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं वे दोबारा ओमीक्रोन से संक्रमित हो सकते हैं। भले ही कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में काफी गिरावट आई है, लेकिन पुन: संक्रमण के मामलों में वृद्धि हुई है।
Also Read: कोरोना का टीका लगने के बाद कसरत करने से बढ़ती हैं एंटीबॉडी
लोग हो रहे हैं कोरोना से पुन: संक्रमित
पल्मोनोलॉजी फोर्टिस मेमोरियल इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ मनोज गोयल ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर के दौरान ओमीक्रोन से संक्रमित ऐसे मरीज अधिक पाए गए जो पहले कोरोना से संक्रमित हो चुके थे। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस से पुन: संक्रमण का मतलब है कि एक व्यक्ति पहले कोरोना से संक्रमित था, ठीक हो गया और फिर कोराना से संक्रमित होना। हालांकि अमेरिकी स्वास्थ्य अभी इस पर शोध कर रही हैं।
कोरोना वायरस की शुरुआत के बाद से प्रतिरक्षा को लेकर शोधकर्ताओं ने अपना अलग अलग डेटा जारी किया है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अक्टूबर 2021 के अध्ययन से पता चलता है कि कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों की प्रतिरक्षा 3 से 5 महीने तक मजबूत रहती है। वहीं एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि प्रतिरक्षा 8 महीने तक रहती है। हालांकि डॉ अरविंद का सुझाव है कि इस दौरान प्रतिरक्षा की अवधि 4-8 सप्ताह से कम हो सकती है।
प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता कब तक रहती है मजबूत
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार जो लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं, वे SARs-COV-2 के खिलाफ एक निश्चित स्तर की प्रतिरक्षा की उम्मीद कर सकते हैं। इसका अर्थ है कि आप बार बार होने वाले संक्रमण से सुरक्षित हैं। हालांकि यह सुनिश्चित करना काफी मुश्किल है कि कोरोना से उबरने वाले मरीजों की प्रतिरक्षा कितने समय तक चलती है। आरवी अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा सलाहकार डॉ एस.एन अरविंद का कहना है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग होता है। उन्होंने बताया कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ लगातार सभी को कोरोना के खिलाफ एहतियात बरतने का सुझाव दे रहे हैं।
Also Read: कोरोना से बचाव के लिए N95 सबसे बेस्ट क्यों है? जानें क्या है मास्क को बदलने का सही वक्त
प्रतिरक्षा कम होने के पीछे साइंस
डॉक्टर गोयल ने बताया प्राकृतिक प्रतिरक्षा की अवधि का पता लगाना काफी मुश्किल है, लेकिन किसी संक्रमण के खिलाफ टीकाकरण की प्रतिरक्षा 3 से 12 महीने तक रहती है। उन्होंने बताया कि एंटीबॉडी और टी कोशिकाओं में गिरावट के कारण प्रतिरक्षा समय के साथ धीरे धीरे समाप्त हो जाती है।
संक्रमण के खिलाफ टीकाकरण के बाद आपका शरीर एंटीबॉडीज का निर्माण करता है और उन्हें मजबूत बनाता है। हालांकि जब आपका शरीर लंबे समय तक कोरोना वायरस के संपर्क में नहीं आता है तो एंटीबॉडी का उत्पादन धीरे हो जाता है। तथा कोशिकाएं और प्रोटीन धीरे धीरे कम हो जाती हैं, जिससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है।
ऐसे लोगों के कोरोना से संक्रमित होने का खतरा अधिक
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जिसने अब तक वैक्सीनेशन नहीं करवाया है या फिर पहले से डायबिटीज, दिल संबंधी बीमारी या कैंसर से पीड़ित हैं उन्हें कोरोना से पुन: संक्रमित होने का खतरा अधिक है। कोरोना गाइडलाइंस का पालन कर आप कोरोना जैसी भयावह बीमारी को मात दे सकते हैं। इससे कोरोना के खतरो को कम किया जा सकता है। उनके अनुसार यह वेरिएंट पर भी निर्भर करता है, ओमीक्रोन वेरिएंट अधिक संक्रामक पाया गया था।
(टाइम्स ऑफ इंडिया से साभार)