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कोरोना से बेहाल दुनिया के लिए खुशखबरी! वैक्सीन पर काम कर रही Pfizer ने कहा-फेज-3 के नतीजे बेहद उत्साहजनक

Updated Nov 18, 2020 | 18:21 IST

कोरोना महामारी से लोगों को उबारने के लिए दुनिया भर में इसके टीके पर काम चल रहा है और कई टीके क्लिनिकल ट्रायल के अपने अंतिम दौर में हैं वहीं Pfizer ने कहा है कि उसके टीके नतीजे खासे उत्साहवर्धक हैं।

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प्रतीकात्मक फोटो

कोरोना वायरस से परेशान पूरी दुनिया को अब इस महामारी को कंट्रोल करने के लिए एक सफल वैक्सीन का इंतजार है इस बारे में अमेरिकी कंपनी फाइजर (Pfizer) ने कहा है कि फेज-3 ट्रायल के काफी बेहतर परिणाम सामने आए हैं।फाइजर  ने कहा कि हमें BioNTech Group के साथ-साथ यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि हमारे  COVID19 वैक्सीन उम्मीदवार के फेज 3 के अध्ययन में सभी प्राथमिक प्रभावकारिता समापन बिंदु मिले हैं।

प्राथमिक प्रभावकारिता विश्लेषण बीएनटी 162 बी 2 को पहली खुराक के 28 दिनों के बाद सीओवीआईडी -19 की शुरुआत के 95% प्रभावी होने का संकेत देता है, सीओवीआईडी -19 के 170 पुष्ट मामलों का मूल्यांकन किया गया था, जिसमें टीका समूह में 8 के प्लेसबो समूह 8 में 162 का अवलोकन किया गया था;प्रभावकारिता उम्र, लिंग, नस्ल और जातीयता जनसांख्यिकी के अनुरूप थी; 65 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों में प्रभावकारिता 94% से अधिक थी।

आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (EUA) के लिए अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा आवश्यक सेफ्टी डेटा माइलस्टोन हासिल किया गया है।

गौरतलब है कि कोरोना वैक्सीन तैयार करने के अंतिम चरण में पहुंच चुकी दुनिया की कई नामी कंपनियां अपनी दवा 90 से 95 फीसदी तक असरदार होने का दावा कर रही हैं वहीं अमेरिकी कंपनी फाइजर की कोरोना वैक्सीन ने असरदार होने के संकेत दिखाए हैं। कंपनी ने कहा है कि उसके टीके के विश्लेषण से पता चला है कि यह कोविड-19 को रोकने में 90 प्रतिशत तक कारगर हो सकता है। इससे भारत समेत दुनियाभर में अच्छी खबर के रूप में देखा गया।

फाइजर कोरोना वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस में रखने की जरूरत 

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के लिए ये बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं जगाती है। AIIMS के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि फाइजर कोरोना वायरस वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस में रखने की जरूरत है और इस तरह के लॉजिस्टिक्स की भारत में व्यवस्था करना मुश्किल हो सकता है।एम्स-दिल्ली के निदेशक ने कहा, 'फाइजर वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस में रखा जाना चाहिए, जो भारत जैसे विकासशील देशों के लिए एक चुनौती है, जहां हमें कोल्ड चेन बनाए रखने में कठिनाइयां होंगी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों मे। कुल मिलाकर यह तीसरे चरण के परीक्षणों में वैक्सीन रिसर्च के लिए उत्साहजनक खबर है।'