नई दिल्ली: अगर आप भी पीने के लिए प्लास्टिक की पानी की बोतल बाजार से खरीदते है तो सावधान हो जाएं। क्योंकि ये पानी पीने से आप कई बीमारियों के शिकार हो सकते है। प्लास्टिक की बोतल में आप जिस पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें प्लास्टिक के अवशेष हो सकते हैं। न्यूयॉर्क की स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने इन ब्रांड्स के 27 लॉट में से 259 बोतलों का टेस्ट किया। इसके लिए दिल्ली, चेन्नई, मुंबई समेत दुनिया के 19 शहरों से नमूने लिए गए थे,इनमें प्लास्टिक के पार्ट्स पाए गए।
भारत के अलावा चीन, अमेरिका, ब्राजील, इंडोनेशिया, केन्या, लेबनान, मैक्सिको और थाईलैंड के बोतलबंद पानी के नमूनों का विश्लेषण किया गया। शोधकर्ताओं का मानना है कि माइक्रोप्लास्टिक से विश्व स्तर पर 90 फीसदी बोतल बंद पानी में प्रदूषण बढ़ा है।
और पढें-'होटल और रेस्टोरेंट MRP से भी ज्यादा कीमत पर बेच सकते हैं बोतलबंद पानी'
प्लास्टिक के जो अवशेष पाए गए हैं, उनमें पॉलीप्रोपाइलीन, नायलॉन और पॉलीइथाईलीन टेरेपथालेट शामिल हैं। इन सबका इस्तेमाल बोतल के ढक्कन बनाने में होता है। शोधकर्ता का मानना है कि पानी में ज्यादातर प्लास्टिक पानी को बोतल में भरते समय आता है। यह बोतल और उसके ढक्कन से आ सकता है। एक पूर्व स्टडी में बताया गया था कि नल का पानी बोतलबंद पानी से ज्यादा सुरक्षित है।इस स्टडी में एक्वाफीना, डासानी, इवियान, नेस्ले प्योर लाइफ और सेन पेलेग्रिनो शामिल हैं।
ये भी पढ़ें-अल्कोहल के साथ भूलकर भी न खाएं ये चीजें, बॉडी में हो सकती है इनकी कमी
अध्ययन में विभिन्न देशों के जिन नैशनल ब्रैंड्स को शामिल किया गया है, उनमें एक्वा (इंडोनेशिया), बिसलेरी (इंडिया), ईप्यूरा (मैक्सिको), गेरोलस्टीनर (जर्मनी), मिनालाबा (ब्राजील) और वाहाहा (चीन) शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने स्पेक्ट्रोस्कोपिक विश्लेषण के बाद पाया कि 1 लीटर की पानी की बोतल में औसत रूप से 10.4 माइक्रोप्लास्टिक के कण होते हैं। पूर्व अध्ययन के अनुसार यह नल के पानी में पाए जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक के कण से दोगुने ज्यादा होते हैं।
और खबरों के लिए क्लिक करें-