Lal bhindi ke fayde: सब्जी की खेती करने वाले किसानों को लाल भिंडी तंदुरूस्त बनाएंगी। इतना ही नहीं यह सबके स्वास्थ्य का ख्याल भी रखेगी। इसमें पाए जाने पोषक तत्वों से सेहत ठीक रहेगी। समान्य भिंडी से महंगी कीमत में बिकने से किसान भी मालामाल होंगे। विषेषज्ञों का मानना है कि इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह मधुमेह को नियंत्रित करने में बहुत कारगर है। कृषि विषेषज्ञों की मानें तो लाल भिंडी सेहत का भरपूर खजाना है। लाल भिंडी में हार्ट की बीमारी, मोटापा और डायबिटीज को कंट्रोल करने की क्षमता होती है।
इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल को रोकने में मदद मिलेगी। 94 प्रतिशत पॉली अनसेचुरेटेड फैट बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। 66 प्रतिशत सोडियम उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित करने में मददगार है। 21 फीसद आयरन रक्ताल्पता से संबंधित एनीमिया और अन्य रोगों की रोकथाम में कारगर है। प्रोटीन की 5 फीसद मात्रा शरीर के मेटाबोलिज्म सिस्टम को दुरुस्त रखने में सहायक है। कुल मिलाकर यह औषधीय गुणों से भरपूर होती है।
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह का सब्जी फसल अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने सब्जी की कुल 56 प्रजातियां विकसित कीं, इसमें सबसे ज्यादा भिंडी की 15 प्रजातियां है। डॉ. सिंह भिंडी की पांच हाईब्रीड प्रजातियों के विकास के साथ पहली बार लाल रंग की भिंडी विकसित कर सुर्खियों में आए। उन्होंने बताया कि लाल रंग की भिंडी खाने में स्वाददार तो होती ही है, इसके साथ ही इसमें लाल रंग होंने के कारण इसमें एंथोसायनिन पाया जाता है। इसी कारण इसकी न्यूट्राटी वैल्यू बढ़ जाती है। स्वाद में यह हरे भिंडी जैसी होती है। यह सेहत के हिसाब से पन्द्रह की तरह सब्जी खानी चाहिए। लाल, हरा, काला इसमें सभी पोषक तत्व मिलते हैं। यही वही भिंडी है इसमें एक अलग से जीन डालने के कारण यह लाल हो गयी है। इसमें क्रूड फाइबर होता है। इससे शुगर भी नियंत्रित होता है। इसमें बीकम्पलेक्स भी काफी मात्रा में होती है।
हापुड़ के दोहरी गांव निवासी विनीत तोमर व हाथरस के गढ़ाखेड़ा गांव के मनोज कुशवाहा के मुताबिक बाजार में सामन्य भिंडी से ज्यादा इसके अच्छे दाम मिल जाते हैं। थोक मंडी में अगर हरी भिंडी के भाव प्रति किग्रा 12 से 15 रुपए हैं तो लाल भिंडी मांग और गुणवत्ता के अनुसार 45 से 80 रुपए की दर से बिक जाती है। इससे फसल में अच्छा मुनाफा होता है। इसकी बुआई का सबसे उचित सीजन फरवरी से अप्रैल के दूसरे हफ्ते तक है। अगैती फसल के भाव भी अच्छे मिलते हैं। इस समय भी इसकी बुआई की जा सकती है। दिसंबर-जनवरी में इसकी बढ़वार कम रहेगी,पर फरवरी से फल आने लगेंगे जो नवम्बर तक मिलेंगे।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी किसानों की आय दोगुनी करने के लिए बार-बार कहते हैं। किसानों से खेतीबाड़ी में विविधीकरण (डाइवर्सिफिकेशन) और नवाचार की अपील करते हैं। ऐसा करने वाले किसानों की चर्चा प्रधानमंत्री अक्सर अपने मन की बात में भी करते हैं। यही नहीं इसी मकसद से मुख्यमंत्री की पहल पर झांसी में स्ट्राबेरी, सिद्धार्थनगर में कालानमक, मुजफ्फरनगर एवं लखनऊ में गुड़ महोत्सव भी आयोजित हो चुका है। उनकी ही प्रेरणा से हमने लाल भिंडी की खेती के बारे में सोचा।
बुलंदशहर के सिकंदरा निवासी, हापुड़ के अनवरपुर निवासी उमेश सैनी और सीतापुर के रामपुरबेह निवासी मुरली भी लाल भिंडी की खेती से संतुष्ट हैं। सब इस सीजन में इसकी खेती का रकबा बढ़ाने के बारे में सोच रहे हैं।
यूपीएल उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के रीजनल मैनेजर कृष्ण कुमार सारस्वत के मुताबिक आयरन और प्रोटीन से भरपूर कुमकुम बीपी, सुगर और बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मददगार है। बढ़ती आय के साथ लोग सेहत के प्रति जागरूक हुए हैं। यह भिंडी बाजार में सामान्य भिंडी से कई गुना ज्यादा कीमत पर बिकती है। लागत आदि मिलाकर कुल खचरें के बाद भी किसान लाल भिंडी से डेढ़ से दोगुना ज्यादा कमाई कर सकता है।