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Side Effects of Plasma Therapy: प्लाज्मा थेरेपी से होगा कोरोना के मरीजों का इलाज! क्या हैं इसके साइड इफेक्ट

Updated Apr 25, 2020 | 12:10 IST

Side Effects of Plasma Therapy: दिल्ली सरकार ने कहा है कि प्लाज्मा थेरेपी तकनीक से 4 कोरोना मरीजों का अब तक सफल इलाज किया जा चुका है। प्लाज्मा थेरेपी के कुछ साइड इफेक्ट की भी बात की जा रही है। जानें क्या है ये-

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तस्वीर साभार:&nbspRepresentative Image
प्लाज्मा थेरेपी के साइड इफेक्ट (Source: Pixabay)
मुख्य बातें
  • प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना वायरस महामारी के इलाज के रुप में देखा जा रहा है
  • दिल्ली सरकार के मुताबिक प्लाज्मा थेरेपी तकनीक से 4 कोरोना मरीजों का अब तक सफल इलाज किया जा चुका है
  • इस तकनीक के कई साइड इफेक्ट की भी बात की जा रही है

कोरोना वायरस महामारी से लड़ रही दुनिया को अभी तक इसका कोई सटीक इलाज नहीं मिला है। अभी तक पूरी दुनिया में इस बीमारी से लगभग 2 लाख लोगों की मौत हो चुकी है जबकि केवल भारत में इस बीमारी से अब तक 700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 20 हजार से भी ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि दुनियाभर के वैज्ञानिक दिन-रात कर इसका इलाज ढ़ूंढ़ने की कोशिश कर रहे हैं और जल्द से जल्द इसकी वैक्सीन तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है। 

इस महामारी को खत्म करने के लिए कोई हर्ड इम्यूनिटी की बात कर रहै है तो कोई कुछ और। इसी बीच इस बीमारी के इलाज के लिए एक नई तकनीक चर्चा में है जिसका नाम है प्लाज्मा थेरेपी। खासतौर पर दिल्ली सरकार ने इस तकनीक के जरिए कोरोना वायरस बीमारी का सफल इलाज किए जाने का दावा किया है। शुक्रवार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक प्रेस कांफ्रेस कर बताया कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना वायरस महामारी को हराया जा सकता है।

इस थेरेपी के तहत जो मरीज इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं उन्हें अपना प्लाज्मा (अपना रक्त) डोनेट करना होगा ताकि उससे दूसरे मरीजों का इलाज किया जा सके। दिल्ली सरकार ने आंकड़ा देते हुए बताया कि इस तकनीक से 4 लोगों का अब तक सफल इलाज किया जा चुका है और इस थेरेपी का बड़े स्तर पर लागू किया जा सकता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि इस बीमारी से संक्रमित सभी लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं, कई ऐसे भी लोग हैं जो शुरुआती स्टेज इस बीमारी का पता लगने पर अपना इलाज करवा रहे हैं और वे स्वस्थ भी हो रहे हैं। ऐसे ही स्वस्थ लोगों से सरकार ने अपना प्लाज्मा डोनेट करने की अपील की है ताकि इससे दूसरे लोगों का भी भला हो सके।

किस तरह काम करता है प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा भी एक तरह से प्लेटलेट्स की तरह खून का हिस्सा होता है। इसमें स्वस्थ इंसान बैंक में जाकर अपना प्लेटलेट्स देता है वैसे ही प्लाज्मा भी डोनेट किया जाता है। इस थेरेपी के तहत डोनर के खून से प्लाज्मा निकाल कर उस खून को फिर वापस डोनर के शरीर में डाल दिया जाता है। प्लाज्मा से फिर एंटीबॉडीज निकाल कर कोरोना संक्रमित व्यक्ति को चढ़ाया जाता है। 

प्लाज्मा थेरेपी के साइड इफेक्ट्स
खून में मौजूद प्लाज्मा के जरिए कई बीमारियों का इलाज किया जाता है। प्लाज्मा डोनेशन पूरी तरह से सुरक्षित मेडिकल प्रोसेस है लेकिन इसमें कुछ साइड इफेक्ट भी हैं। यह आपके खून का हिस्सा होता है। प्लाज्मा डोनेट करने के लिए शरीस से खून निकाल कर एक खास मशीन के जरिए उससे प्लाज्मा निकाल कर अलग किया जाता है। फिर उस खून को वापस डोनर के शरीर में डाल दिया जाता है। प्लाज्मा डोनेशन के सामान्य से साइड इफेक्ट होते हैं जैसे डिहाइड्रेशन, थकान। 

डिहाइड्रेशन
प्लाज्मा में काफी मात्रा में पानी होता है। इसलिए प्लाज्मा डोनेशन के बाद कई लोग डिहाइड्रेशन की समस्या की शिकायत करते हैं। हालांकि ऐसे मामलों में डिहाइड्रेशन ज्यादा खतरनाक नहीं होता है।

सुस्ती, थकान
प्लाज्मा पोषक तत्वों से भरा होता है। शरीर में इसकी मौजूदगी से शरीर के ऑर्गन काफी अच्छे से काम करते हैं। इसलिए अगर कोई प्लाज्मा डोनेट करता है तो उनमें इन पोषक तत्वों की थोड़ी कमी हो जाती है जिससे उनके शरीर का इलेक्ट्रोलाइट असंतुलित हो जाता है और वह सुस्ती और आलसपन महसूस करने लगता है। इसके अलावा प्लाज्मा लेवल कम होने से शरीर में थकान भी होने लगती है।

इन्फेक्शन का खतरा
ब्लड डोनेशन के दौरान जब स्किन में सुई चुभाई जाती है तब सीधा नसों से जाकर खून को निकाला जाता है ऐसे में कई लोगों को उस जगह पर लाल निशान पड़ जाते हैं और कई बार इन्फेक्शन का भी खतरा हो जाता है। हालांकि ऐसा बहुत कम ही होता है। उस स्थान से बाहरी बैक्टीरिया के शरीर के अंदर जाने का खतरा रहता है। जिससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि आजकल काफी सुरक्षित तरीके से ब्लड डोनेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है जिसमें इन सबका खतरा ना के बराबर होता है फिर भी हम इन्हें अवॉइड नहीं कर सकते।