- अस्थमा श्वास से जुड़ी हुई बीमारी है इसके मरीजों को सांस लेने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है
- ये एक लंबी बीमारी होती है सीधे फेफड़ों पर असर करती है
- अस्थमा को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन इसके लक्षणों को जरूर नियंत्रित किया जा सकता है
हर साल 5 मई को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो श्वास से जुड़ी हुई है इसके मरीजों को सांस लेने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उनमें सर्दी व खांसी की समस्या आम तौर पर बनी ही रहती है। दुनियाभर में अस्थमा को लेकर लोगों को बीच जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग इससे जुडी जानकारियों से अवगत हों और अफवाहों से दूर रहकर अपना बचाव कर सकें। ये एक लंबी बीमारी होती है सीधे फेफड़ों पर असर करती है। यह श्वास नलियों को जाम कर देती है जिससे सामस लेने में समस्या पैदा होती है।
इसके मरीज को कफ की भयंकर समस्या का सामना करना पड़ता है, नाक बहना व सांस लेने में बेहद कठिनाई का अनुभव करना पड़ता है। इसी कारण से उन्हें इनहेलर का इस्तेमाल करना पड़ता है ताकि वे इसके जरिए सांस ले सकें। आपको बता दें कि अस्थमा को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन इसके लक्षणों को जरूर नियंत्रित किया जा सकता है। लगातार खांसी के साथ कफ का आना, सांस लेने में समस्या, छाती में दर्द ये सभी लक्षण मरीज को सोने भी बाधा बनते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर साल वर्ल्ड अस्थमा डे पर ग्लोबल लेवल पर एक थीम डिसाइड की जाती है जिसके जरिए पूरी दुनिया में जागरुकता अभियान चलाया जाता है। लेकिन इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते अस्थमा को लेकर हर बार की तरह कोई प्लानिंग नहीं की गई। सबसे पहले 1988 में वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया गया था। यह 35 से भी ज्यादा देशों में मनाया जाता था। लेकिन जब इसके मरीजों की संख्या दुनियाभर के अन्य देशों में भी बढ़ने लगी तो इसे लगभग हर देशों में जागरुकता के तहत मनाया जाने लगा। शैक्षणिक कार्यक्रमों के जरिए जागरुकता कार्यक्रम के जरिए लोगों को इसके बारे में बताया जाने लगा।
इसे रोकने के तरीके व टिप्स
- एलर्जी से दूर रहें जो आपकी सांस लेने में तकलीफ को बढ़ाते हैं। अगर आपको किसी चीज से जल्दी एलर्जी हो जाती है तो आपको एलर्जिक रिएक्शन से बचने के तरीकों को अपनाना चाहिए।
- बुखार, कोल्ड व फ्लू जैसी बीमारियों से अपने आप को बचा कर रखें क्योंकि इन सबसे सांस लेने में तकलीफ काफी बढ़ जाती है और अस्थमा के लक्षण और भी खराब स्तर तक पहुंच जाते हैं।
- अस्थमा के मरीजों को स्मोकिंग यानि धूम्रपान से बृभी सख्त परहेज करना चाहिए क्योंकि इससे अस्थमा के लक्षण और भी बढ़ जाते हैं और एक दिन आपको अस्थमा अटैक आ सकता है।
- अगर आप अस्थमा के मरीज हैं तो आपको एयर पॉल्यूशन, कोल्ड, फ्लू और किसी भी तरह के खुशबू से अपने आप को बचा कर रखना चाहिए।
- हर साल फ्लू वायरस वाली वैक्सीन लें जिससे आपको अस्थमा होने का खतरा कम होता है। फ्लू जैसी बीमारियां अस्थमा का एक बड़ा कारण है इसलिए इनकी वैक्सीन लेने की सलाह दी जाती है।
- अस्थमा के मरीज डॉक्टर के द्वारा बताई गई दवाइयों का ही इस्तेमाल करें। अन्यथा अपनी मर्जी से दवाई लेना स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा हो सकता है।
- अस्थमा एक्शन प्लान को फॉलो करें। यानि कि जब आप अच्छा भी महसूस कर रहे हों तब भी आप अपनी दवा लेना जारी रखें।
- होम पीक फ्लो मीटर का इस्तेमाल करें। ये आपको बताता है कि आपके फेफड़ों में कितनी स्वच्छ हवा पास कर रही है। साथ ही ये भी बताता है कि एयरवेज कितना संकरा हुआ है।
- बहुत ज्यादा तापमान में रहने से परहेज करें। हमेशा सामान्य तापमान में रहने की कोशिश करें। ज्यादा भी गर्म और ज्यादा भी ठंडा वातावरण आपके लिए खतरा हो सकता है। एसी हमेशा नॉर्मल टेम्प्रेचर पर रखें। सुबह की ताजी प्राकृतिक हवा आपके लिए एक बेहतर इलाज हो सकता है।
- ज्यादा स्ट्रेस ना लें। स्ट्रेस लेने से अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए ज्यादा इमोशनल परिस्थितियों में अपने आप को ना डालें। ऐसा वर्कप्लेस ढूंढ़ें जो आपको रिलैस्क के साथ-साथ टेंशनफ्री भी रखे। लोगों के साथ बहस ना करें।
- घर के अंदर कूड़ा कचना ना रखें। अपने घर को हमेशा साफ रखें और कूड़ा को नियमित तौर पर घर से बाहर निकालें। घर के अंदर धूल भी ना जमा होने दें क्योंकि ये आपकी सांसों की तकलीफ को और बढ़ा सकती है।
- कीड़ों मकौड़ों और जानवरों से अपने आप को दूर रखें। अस्थमा के मरीजों को इन सब चीजों से एलर्जी की समस्या हो सकती है इसलिए एहतियातन तौर पर अस्थमा के मरीजों को इन सब चीजों से दूर रहना चाहिए।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए है, इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रुप में नहीं लिया जा सकता। कोई भी स्टेप लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर कर लें।)