- सर्वाइकल कैंसर की जांच 40 के बाद जरूर कराएं।
- कैल्शियम और एनिमिया की जांच भी जरूरी है।
- ब्रेस्ट कैंसर की जांच कराना भी बेहद जरूरी है।
नई दिल्ली: महिलाएं अधिकतर तब डॉक्टर के पास जाती हैं जब बीमारी से बुरी तरह परेशान हो जाती हैं। बीमारियों को वो सहती हैं और यही गलती उन्हें कई बार गंभीर बीमारियों का शिकार बना देती है। यही कारण है कि 40 की उम्र के बाद ये दिक्कत ज्यादा होती है।
रेड ब्लड सेल्स की कमी जब शरीर में होती है तो शरीर के सारे हिस्सों तक ऑक्सीजन नही पहुंच पाता। ऐसे में एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। महिलाओं में एनीमिया की दिक्कत सबसे ज्यादा होती है।
खानपान सही न होना, हैवी ब्लीडिंग आदि से महिलाओं में ये बीमारी ज्यादा होती है। एनिमिया की कमी से सांस फूलना, थकान, चिड़चिड़ापन, सिर में दर्द जैसी कई ऐसी समस्या होती हैं। एनीमिया का टेस्ट के लिए आपको ब्लड टेस्ट कराना होगा।
विटामिन डी का टेस्ट
भले ही आपको लगता हो कि अन्य विटामिन की तुलना में विटामिन डी कम भी मिले तो चलेगा, लेकिन ऐसी सोच आपके हड्डियों ही नहीं स्वस्थ मस्तिष्क के लिए भी नुकसानदायक होता है। विटामिन डी की कमी हड्डियों को कमजोर करने के साथ ही पीसीओएस का कारण बनता है।
पीसीओेएस में ओवरीज में गाठें बनता है और यदि इस विटामिन की ज्यादा ही कमी हो जाए तो कई अन्य शारीरिक दिक्कते होने लगती हैं। पेट में दर्द, मूड खराब रहना, वेट गेन, स्किन पर दाने निकलना, बांझपन आदि की दिक्कत विटामिन डी की कमी से होते हैं। इसकी जांच के लिए 25-हाइड्रोक्सी विटामिन डी ब्लड टेस्ट करवाना होता है।
कैल्शियम की कमी
ऑयरन के साथ महिलाओं के शरीर में किसी चीज की कमी होती है तो वह कैल्शियम की ही होती है। कैल्शियम की कमी से हड्डियां भुरभरी होने लगती है और धीरे-धीरे हल्की चोट पर भी फ्रैक्चर हो जाता है। इतना ही नहीं हड्डि्यां कमजोर होने से महिलाएं अपना वजन तक नहीं झेल पातीं और उनके शरीर में दर्द और थकान का यही कारण होता है।
दिक्कत ये है कि कैल्शियम कब शरीर से कम हो जाता है ये पता नहीं चलता है। इसलिए इसकी जांच करना भी जरूरी है।इसलिए ब्लड टेस्ट के जरिये जानें की कैल्शियम शरीर में कितना है। यदि खून में कैल्शियम 8.8 mg/dL तो इसका मतलब है कि कल्शियम कम है।
पैप स्मीयर टेस्ट
पैप स्मियर यानी पैप टेस्ट सरवाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए होता है। ये कैंसर महिलाओं को ही होता है। इसमें यूट्रेस से सर्विक्स सेल्स इकट्ठे किए जाते हैं और इनकी जांच की जाती है। पैप टेस्ट में एक लकड़ीनुमा चम्मच से सेल्स को इकट्ठा किया जाता है और इसे जांच क जाता है।
ये टेस्ट 21 से 65 साल की महिलाओं को कराना चाहिए। साथ ही जो महिलाएं 40 साल या उससे अधिक उम्र की हैं, उन्हें इसक जांच जरूर कराते रहना चाहिए। वहीं जो लड़कियां 21 साल की हैं और सेक्सुअली एक्टिव हैं, उन्हें भी पैप स्मियर करवाना चाहिए।
ब्रेस्ट कैंसर का टेस्ट
ब्रेस्ट कैंसर की जांच 20 की उम्र के बाद से करानी शुरू कर देनी चाहिए। 50 साल की उम्र तक इसकी जांच करना जरूरी है। ये फिजिकल वेरिफिकेशन होता है। इसमें ब्रेस्ट में गांठों का पता लगाया जाता है। डॉक्टर ये चेक कर लेते है कि ब्रेस्ट में गांठ तो नहीं।