लाइव टीवी

Antibiotic side effects: खुद से न खाएं एंटीबायोटिक्स, ओवरडोज से हो सकती है ये बीमारियां

Updated Nov 06, 2019 | 08:06 IST | Ritu

खुद से एंटीबॉयोटिक्स लेना और कोर्स पूरा न करने की आपकी आदत गंभीर बीमारियां देता है। 18-24 नवंबर तक वर्ल्ड एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक (World Antibiotic Awareness Week) इन्‍ही खतरों से बचाने के लिए मनाया जाता है।

Loading ...
तस्वीर साभार:&nbspGetty Images
Antibiotic side effects
मुख्य बातें
  • एंटीबॉयोटिक का डोज कभी अधूरा न छोड़ें
  • खुद से एंटीबॉयोटिक लेने की आदत बदल लें
  • अधिक एंटीबॉयोटिक का प्रयोग बीमार बनाता है

वॉयरल फीवर, इंफेक्शन्स या कई अन्य बीमारियों में एंटीबॉयोटिक्स देना जरूरी होता है, लेकिन इन दवाओं को खाने की एक साइकिल भी होती है और इसे कब लेना चाहिए यह डॉक्टर ही तय करते हैं। यदि एंटीबॉयोटिक्स की पूरी डोज आपने नहीं ली तो समझ लें कि आपने अपनी मौजूदा बीमारी के किटाणुओं को और मजबूत बना दिया। वहीं कई बार अपने मन से बीमारियों में एंटीबॉयोटिक्स को लेना भी गंभीर होता है। ऐसा कर के आप अपने

शरीर को एंटीबॉयोटिक्स दवाओं के असर से बेअसर बना रहे होते हैं। दवाओं का ये ओवरडोज इतना गंभीर होता है कि कई बार गंभीर बीमारियों में दी जाने वाली एंटीबॉयोटिक्स का असर भी शरीर पर नहीं हो पाता। तो याद रखिए अगल बार एंटीबॉयोटिक्स न तो खुद लें और दवा का पूरा डोज कंप्लीट करें।

जरूरत से अधिक एंटीबायोटिक है नुकसानदायक
जरूरत से ज्यादा या बार बार यदि आप एंटीबॉयोटिक्स लेते हैं तो इससे आपको डायरिया जैसी पेट की दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। कई बार इंफेक्शन जल्दी ठीक ही नहीं होता। इससे शरीर में एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट ऑर्गेज्म्स विकसित हो जाते हैं जिससे दवाओं का असर बेअसर होने लगता है।

बैक्टीरिया अपना स्वरूप बदल लेते हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक जब शरीर में अतिरिक्त एंटीबायोटिक दवाइयां जाती है तो इससे अन्य बीमारियों में एंटीबायोटिक दिए जाने का शरीर पर असर नहीं होता। रोग के बैक्टिरिया और मजबूत हो कर अपना स्वरूप बदल कर और मजबूत बन जाते हैं। ये समस्या एंटीबायोटिक प्रतिरोध संक्रमण कहलाती है। इसमें बैक्टीरिया एंटीबायोटिक के प्रतिरोधक हो जाता है और संक्रमण का भी इलाज नहीं हो पाता।

दवा का अधूरा डोज बेहद खतरनाक
एंटीबॉयोटिक्स का कोर्स तीन, पांच और सात दिन का होता है। डॉक्टर बीमारी की गंभीरता देखते हुए एंटीबायोटिक के कोर्स मरीज को बताता है। दवाओं के प्रभाव से बीमारी दब जाती है और मरीज दवा का डोज बीच में ही छोड़ देता है। ऐसा करना बेहद गंभीर होता है। इससे बीमारी के दबे बैक्टिरिया दोबार एक्टिव हो कर और मजबूत बन जाते हैं और अगली बार जब उसी बीमारी के लिए वही दवा दी जाती है तो वह दवा शरीर पर काम नहीं करती और डॉक्टर को उससे भी तगड़ी एंटीबायोटिक देनी पड़ती है। इसलिए याद रखें एंटीबायोटिक का डोज कभी अधूरा न छोड़ें।

याद रखें कभी एंटीबॉयोटिक्स खुद न ले और न ही इसके डोज को अधूरा छोड़ें।