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काले सपने जैसा था वो दिन: ट्यूशन जा रहे 16 साल के गौरव को लगी उपद्रवियों की गोली, बयां की पूरी कहानी

Updated Mar 01, 2020 | 20:03 IST

16 साल का गौरव ट्यूशन पढ़ने के लिए जा रहा था कि अचानक उसे गोली आ लगी। शुरुआत में तो उसे कुछ पता नहीं चला लेकिन फिर अचानक वह बेहोश हो गया।

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गोली लगने से घायल हुए बच्चे ने बयां की दास्तां

नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में ट्यूशन पढ़ने जाते समय एक 16 साल का एक लड़का गोली की चपेट में आ गया। 24 फरवरी को यहां इलाके में मौजूद दंगाइयों ने यह गोली चलाई थी। पीड़ित नाबालिग ने कहा कि शुरुआत में उसे महसूस नहीं हुआ कि एक गोली उसके दाहिने हाथ में आ लगी है लेकिन थोड़ी देर में ही अचानक वह बेहोश हो गया। बुरे सपने जैसे उस दिन को याद करते हुए वह कहता है कि उसके दोस्तों ने उसका बचाव किया और तुरंत अस्पताल ले गए।

उसे पास के एक क्लिनिक में ले जाया गया और बाद में जीटीबी अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जहां उत्तर-पूर्व जिले में हिंसा से संबंधित घटनाओं में लगातार चोटिल होने वाले अधिकांश लोग भर्ती हैं। एएनआई से बात करते हुए शिव विहार निवासी 16 वर्षीय गौरव बताता है, 'जब घटना हुई तब मैं अपने ट्यूशन के लिए जा रहा था। मुझे एक गोली लगी और मैं बेहोश हो गया, हालांकि मुझे महसूस नहीं हुआ कि मुझे गोली लगी है और होश में आने के बाद ही इसके बारे में पता चला।'

गौरव को अब अस्पताल से छुट्टी मिल गई है, वह किस्मत वाला था कि गोली शरीर किसी मुख्य हिस्से में नहीं लगी। गौरव ने बताया कि बड़े पैमाने पर गोलीबारी और पथराव हुआ जिसमें कई लोग घायल हो गए। गौरव के माता-पिता ने कहा कि अब वे उसे ट्यूशन के लिए मुस्तफाबाद क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं देंगे।

लड़के की मां गुलशान ने बताया, 'मैं मुकेश भाटी के अस्पताल गया था, जहां से उसे जीटीबी अस्पताल ले जाया गया था। वह इस बात से अंजान था कि उसे गोली लग गई है। अब तक पुलिस या किसी और ने हमसे संपर्क नहीं किया है।' मां का कहना है कि जब उन्हें अपने बेटे की गोली लगने की घटना के बारे में पता चला तो वह तनाव से अंजान थीं।

गौरव का इलाज करने वाले डॉक्टर मुकेश भाटी ने कहा कि उन्होंने स्थानीय निवासी को प्रारंभिक उपचार दिया, जिसे गोली से चोट लगी और बाद में उसे दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया। उन्होंने 24 फरवरी दोपहर को लगभग 60-70 घायल लोगों को प्रारंभिक उपचार दिया। उनका अस्पताल भरा हुआ था और मरीज फर्श पर लेटे थे।

यह पूछे जाने पर कि लोगों को किस तरह तरह की चोटे लगी थी डॉक्टर ने कहा,  'मैं समझा नहीं सकता कि हमने क्या देखा है! पेट्रोल बम फेंके गए और गोलीबारी हुई। मुझे फोन आया कि दंगे हो गए हैं और जब मैं अस्पताल पहुंचा तो कई मरीजों को गंभीर चोटें लगीं थीं टूटी हुई टाइलों का उपयोग लोगों पर हमला करने के लिए किया गया था। कम से कम 60-70 लोग दो घंटे के भीतर मेरे अस्पताल में इलाज के लिए आए थे।'

डॉ. भाटी ने यह भी कहा कि किशोरों को गोली लगने सहित अधिकतम चोटें आई हैं। उन्होंने कहा, '15 साल उम्र के रोगियों की तादात लगभग 25 के आसपास थी। उन्हें अस्पताल ले जाने के दौरान हमें काफी समस्या हुई क्योंकि सभी सड़कें बंद थीं।'

गौरतलब है कि इस सप्ताह के शुरू में उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में कम से कम 46 लोग मारे गए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हिंसा में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपए का मुआवजे की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि 5 लाख रुपए स्थाई अक्षमता (दिव्यांग), गंभीर चोटों के लिए 2 लाख रुपए और मामूली चोट के लिए 20,000 रुपए पीड़ितों को दिए जाएंगे।

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