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पिछले 20 दिनों में घर पर ही किए गए कोरोना के दो लाख टेस्ट, 2021 में यह आंकड़ा था महज 3 हजार: सरकार

Updated Jan 20, 2022 | 23:50 IST

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच संक्रमण की जांच के लिए कोरोना टेस्ट किट से घर पर ही जांच करने के मामलों में भी गति आई है। पिछले साल के मुकाबले इसमें बहुत तेजी आई है।

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पिछले 20 दिनों में घर पर ही किए गए कोरोना के दो लाख टेस्ट
मुख्य बातें
  • घर पर ही किए गए कोरोना के दो लाख टेस्ट : स्वास्थ्य मंत्रालय
  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा पिछले साल ये आंकड़ा महज तीन हजार था
  • दिसंबर महीने में ही 16 हजार नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग की गई है

नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि पिछले 20 दिनों के दौरान घर पर ही दो लाख  कोरोना के टेस्ट किए गए हैं जबकि पिछले साल यह आंकड़ा सिर्फ 3,000 का का था। साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, ICMR के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा कि देश में कोरोना की जांच करवाने का स्तर वैसे ही बरकरा है जैसा दूसरी कोविड लहर के दौरान था। उन्होंने कहा कि कोरोना परीक्षण के लिए जांच के कई साधन उपलब्ध हैं, चाहें वह आरटी-पीसीआर हो, रेपिड एंटीजन टेस्ट या घर पर ही एंटीजन टेस्ट या आरएनए किट। महत्वपूर्ण ये है कि घरेलू जांच के मामलों में तेजी आई है।

पिछले साल के मुकाबले बेहद तेज हुई रफ्तार

भार्गव ने कहा, "पिछले पूरे साल में घर पर केवल 3,000 कोविड टेस्ट दर्ज किए गए थे और इन 20 दिनों में, हमने देखा कि घर पर दो लाख लोगों ने अपना कोविड टेस्ट किया है। उन्होंने कहा कि कुछ जिलों और राज्यों में परीक्षण के प्रदर्शन में गिरावट देखी जा रही है और उन्हें इसे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। एक सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि अब तक 1.64 लाख जीनोम सीक्वेंस किए जा चुके हैं।

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इतने सैंपल्स की हुई जीनोम सिक्वेंसिंग

उन्होंने कहा, 'दिसंबर में, 16, 000 जीनोम सिक्वेंसिंग किए गए हैं  और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के संदर्भ में जीनोम सिक्वेंसिंग महत्वपूर्ण है। किसी व्यक्ति के लिए यह जानना फायदेमंद नहीं है कि क्या वे डेल्टा या ओमिक्रोन से संक्रमित हैं क्योंकि परीक्षण प्रक्रिया और उपचार समान रहता है। इसलिए, जीनोम सिक्वेंसिंग में यह समझना महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया को कैसे ढाला जाए।' नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी के पॉल ने कहा कि जीनोम सिक्वेंसिंग रणनीतिक होनी चाहिए और सैंपल्स का व्यवस्थित संग्रह होना चाहिए।

जब ओमिक्रोन की शुरुआत हुई तो सबसे महत्वपूर्ण चरण यह था कि जब यात्री आ रहे हैं तो उसका क्या प्रभाव है। फिर सुविधाओं में यह निगरानी की जानी चाहिए कि कौन भर्ती हो रहा था ओमिक्रॉन या डेल्टा से संक्रमित शख्स। जीनोम सक्विेंसिंग के लिए 269 केंद्र स्थापित किए जा चुके हैं और ये अभी भी चल रहे हैं।

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