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Kapil Sibal Dinner Party: 2024 का आम चुनाव अभी दूर लेकिन कपिल सिब्बल की डिनर पार्टी के मायने समझिए

Updated Aug 10, 2021 | 08:53 IST

2024 को किस तरह से अपने कब्जे में किया जाए इसे लेकर विपक्षी एकता की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसी क्रम में कपिल सिबल मे डिनर पार्टी आयोजित की थी। लेकिन उससे क्या हासिल हो सकता है उसे हम बताएंगे।

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2024 का आम चुनाव अभी दूर लेकिन कपिल सिब्बल की डिनर पार्टी के मायने समझिए
मुख्य बातें
  • 2024 आम चुनाव से पहले तीसरे मोर्चे की तैयारी
  • कांग्रेस के कद्दावर नेता कपिल सिब्बल ने दी थी डिनर पार्टी
  • कपिल सिब्बल की डिनर पार्टी में विपक्ष के कई बड़े चेहरे शरद पवार, लालू यादव, अखिलेश यादव, डेरेक ओ ब्रायन हुए थे शामिल

2024 के आम चुनाव में अभी वक्त है। लेकिन विपक्ष की तरफ से मजबूत मोर्चा कवायद बनाने की तैयारी चल रही है। यह मोर्चा कितना कामयाब होगा इसके बारे में पुख्ता आकलन 2024 के नतीजों के बाद ही बता पाना संभव होगा। लेकिन उन सबके बीच कांग्रेस के कद्दावर चेहरा कपिल सिबल की तरफ से डिनर आयोजित किया गया था जिसमें कई खास चेहरे शामिल हुए। कपिल सिबल की डिनर पार्टी में शरद पवार, अखिलेश यादव, लालू यादव और टीएमसी की तरफ से डेरेक ओ ब्रायन मौजूद थे।

कपिल सिब्बल की डिनर पार्टी का मतलब
कपिल सिब्बल की डिनर पार्टी में विपक्षी दलों के कई सुरमा शामिल हुए। लेकिन उसके साथ ही कांग्रेस के वो चेहरे भी शामिल हुए जिन्हें जी-23 की संज्ञा दी गई है। यब बात सच है कि इस समय नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ सभी विपक्षी दल मोर्चेबंदी में लगे हुए हैं। लेकिन यहीं सवाल उठ खड़ा होता है कि क्या अगर कोई मोर्चा बनता है तो वो कामयाब हो पाएगा।  अगर भारतीय राजनीति को देखें तो तीसरा मोर्ता रेत की ढेर की तरह ही रहा है। विपक्षी मोर्चे में आए दल कभी लंबे समय तक एक साथ नहीं रह सके। 

क्या कहते हैं जानकार
कपिल सिब्बल की डिनर पार्टी के बारे में जानकार कहते हैं कि इसे दो तरह से समझना चाहिए। पहली बात तो ये है कि अगर 2024 में मोदी सरकार एक बार फिर सत्ता में आती है तो इसका अर्थ यह होगा कि जिस तरह से देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस आगे बढ़ी थी कुछ उसी तरह की तस्वीर सामने आएगी। लिहाजा कांग्रेस की तरफ से कोशिश होगी कि उस तरह की उदाहरण सामने ना आए। इसके साथ ही कांग्रेस के अंदर जिस तरह से खेमेबाजी है उसे इस पार्टी के जरिए केंद्रीय नेतृत्व को संदेश देने की कोशिश की गई है पार्टी में वरिष्ठ चेहरों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए। जानकार कहते हैं कि कांग्रेस के अंदर इस समय द्वंद है कि पार्टी को किस तरह से आगे बढ़ाया जाए। 

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