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Tapovan Tunnel: जारी है जिंदगियां बचाने की कवायद,आई 'नई मशीन', मानी जा रही है 'खासी मददगार'

Updated Feb 13, 2021 | 14:23 IST

Tapovan Tunnel Rescue: उत्तराखंड में जलप्रलय के कारण मची भारी तबाही के बाद से तपोवन टनल में फंसे लोगों को सकुशल निकालने की कवायद में सुरक्षा बल जुटे हैं

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तपोवन सुरंग में अब भी 25 से 35 लोगों के फंसे होने की संभावना है
मुख्य बातें
  • जोशीमठ में तपोवन सुरंग के लिए एक नई मशीन लाई गई है
  • सुरक्षाबल के जवानों ने एक बड़ा सुराख किया
  • इस सुरंग में 30 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है

तपोवन (उत्तराखंड):  उत्तराखंड में गाद और मलबे से भरी तपोवन सुरंग में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिएआगे की ड्रिलिंग करने के लिए चमोली जिले के जोशीमठ में तपोवन सुरंग के लिए एक नई मशीन लाई गई है लोगों के बचाने के क्रम में सुरक्षाबल के जवानों ने एक बड़ा सुराख किया है। इस सुरंग में 30 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है। शनिवार को इस सुराख को और बड़ा और चौड़ा करने का काम किया जा रहा है ताकि सुरंग के अंदर कैमरा डाल कर अंदर फंसे लोगों के बारे में पता लगाया जा सके।

एनटीपीसी के अनुसार, सुरंग के अंदर खुदाई 136 मीटर तक की गई है। खुदाई रैनी गांव में भी की जा रही है कल एक शव वहां पाया गया था। लापता व्यक्तियों में से 38 के शव बरामद कर लिए गए हैं और 2 लोग जीवित पाए गए हैं।

7 फरवरी को यहां ग्लेशियर फटने से जिले में बाढ़ आ गई थी बचाव अभियान अभी भी जारी है। पोवल नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) के महाप्रबंधक आर पी अहिरवाल ने बताया कि 12मीटर लंबे और 75 मिलीमीटर व्यास वाला सुराख किया गया है। 

उन्होंने कहा, 'यह अच्छा संकेत है कि सुरंग में पानी और कीचड़ का दबाव नहीं है। लेकिन गाद मौजूद होने के कारण कैमरे को अंदर नहीं भेजा जा सका है। सुराख को बड़ा और चौड़ा करने का काम किया जा रहा है। इसका व्यास 250-300 मिलीमीटर होना चाहिए।'

राज्य में इस आपदा में अब तक 38 लोगों की मौत हो चुकी है और 166 लोग लापता हैं। तपोवन सुरंग में अब भी 25 से 35 लोगों के फंसे होने की संभावना है।

सात फरवरी को ऋषिगंगा घाटी में पहाड़ से गिरी लाखों मीट्रिक टन बर्फ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ से 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गयी थी जबकि 520 मेगावाट वाली तपोवन-विष्णुगाड परियोजना को काफी क्षति पहुंची और उसकी सुरंग में काम कर रहे लोग वहां फंस गए।

वहीं सीमा सड़क संगठन जो स्थानों की टूटी कनेक्टिविटी को फिर से स्थापित करने में जुटा है उसने मुताबिक- यह 200 फीट का बेली ब्रिज है जिसका निर्माण हम उत्तराखंड के चमोली में एक विकल्प के रूप में कर रहे हैं। बाधाओं के बावजूद, इसे बनाने के लिए बीआरओ दिन-रात काम कर रहा है बेली ब्रिज सबसे तेज़ है जिसे हम लॉन्च कर सकते हैं, बाद में हम चमोली में कनेक्टिविटी के लिए स्थायी पुल बनाएंगे ब्रिज एक इंजीनियरिंग चुनौती है

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