- 2014 से पहले लिंचिंग सुनने में नहीं आता था- राहुल गांधी
- हिंदू और हिंदुत्व पर राहुल गांधी अलग राय रख चुके हैं राहुल गांधी
- हिंदू और हिंदुत्व में भेद करने पर बीजेपी और आरएसएस कर चुके हैं आलोचना
क्या 2014 से पहले भारत में लिंचिंग शब्द सुनने को नहीं मिलता था। दरअसल यह सवाल इसलिए है क्योंकि राहुल गांधी ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि इससे पहले लिंचिंग शब्द सुनने में नहीं आता था। हिंदू और हिंदुत्व के बाद राहुल गांधी के इस बयान का क्या मतलब है। क्या वो बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समाज को संदेश दे रहे हैं कि सही मायनों में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जो समभाव में भरोसा करती है। क्या अगले साल होने जा रहे पांच राज्यों में चुनाव से पहले वो बहस और प्रचार को दिशा देना चाहते हैं या सावधानी से अपने बिखरे हुए मतों को कांग्रेस सहेजने में जुट गई है।
राहुल गांधी ने लिंचिंग पर छेड़ी बहस
2014 से पहले ‘लिंचिंग’ शब्द सुनने में भी नहीं आता था।हिंदू मानते हैं कि हर व्यक्ति का DNA अलग और अनन्य होता है। हिंदुत्ववादी मानते हैं कि सब भारतीयों का DNA समान है।ये कैसी सरकार है जिसे सदन को संभालना नहीं आता? महंगाई लखीमपुर MSP लद्दाख़ पेगासस निलंबित सांसद जैसे मुद्दों पर हमारी आवाज़ की बुलंदी नहीं रोक सकते… हिम्मत है तो होने दो चर्चा!
बीजेपी का पलटवार
- राजीव गांधी, फादर ऑफ मॉब लिंचिंग
- महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया
- कांग्रेस ने सड़क पर उतर कर खून का बदला खून से लेने के नारे लगाए
- सिख पुरुषों के गले में जलते टायर डाले गए
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी में कांग्रेस जबतक मजबूत नहीं होगी 2024 का सपना सिर्फ सपमा बन कर रह जाएगा। यह बात पूरी तरह सच है कि बीजेपी का उभार सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस के अवसान पर हुआ है। कांग्रेस का परंपरागत सवर्ण वोट बैंक जब एक तरफ छिटका तो दूसरी तरफ उसका अल्पसंख्यक वोट बैंक इसलिए कांग्रेस से दूर हुआ क्योंकि उसके लिए बीजेपी की हार सबसे बड़ी प्राथमिकता होती थी। कांग्रेस के रणनीतिकारों को लगता है कि उसे एक ऐसे रास्ते पर सफर तय करना है वो मुश्किलों से भरा है लिहाजा शब्द कोष से ऐसे ऐसे शब्दों को जनता के बीच ले जाना है जिसकी वजह से परंपरागत वोट बैंक को वापस पाले में किया जा सके।