- ईरान ने इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर किए हैं हवाई हमले
- इन हमलों के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है
- इराक में भारतीयों की सुरक्षा के लिए विदेश मंत्रालय ने जारी की एडवाइजरी
Iran- US Tensions: ईरान के अमेरिका पर पलटवार के बाद इराक सहित खाड़ी देशों की स्थिति जटिल होने लगी है। इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। ईरान और अमेरिका के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। इस तनाव ने यदि युद्ध का आकार लिया तो इससे खाड़ी देशों सहित पूरी दुनिया प्रभावित होगी। खाड़ी देशों में भारत के करीब 80 लाख लोग रहते हैं। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में करीब 35 लाख, सऊदी अरब में करीब 23 लाख और ओमान में करीब 12 लाख लोग रहते हैं। युद्ध भड़कने पर खाड़ी के ये देश बुरी तरह प्रभावित होंगे। ऐसे में भारत सरकार पर अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की बड़ी जिम्मेदारी होगी।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक इराक में अभी करीब 12 हजार भारतीय हैं। ईरान की ताजा कार्रवाई और तेहरान-वाशिंगटन के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर विदेश मंत्रालय ने इराक में रहने वाले अपने नागरिकों के लिए यात्रा परामर्श जारी किया है। इस एडवाइजरी में भारतीय नागरिकों को गैर-जरूरी यात्रा न करने और अपने घरों में रहने का अनुरोध किया गया है।
ईरान ने अमेरिका की पूरी फौज को 'आतंकवादी' घोषित किया है। जाहिर है कि इसके बाद इराक सहित खाड़ी देशों में जहां कहीं भी अमेरिकी सुरक्षा बल तैनात हैं, वे सभी ईरान के निशाने पर होंगे। ईरान आने वाले दिनों में इन जगहों पर अमेरिकी सुरक्षा बलों को निशाना बना सकता है। यही नहीं, अमेरिकी बलों को 'आतंकवादी' घोषित करने का मतलब यह है कि इस इलाके में अमेरिका की मदद करने वाले सभी देश ईरान के निशाने पर होंगे। खासकर, सऊदी अरब और इजरायल अमेरिका के सहयोगी और मददगार देश हैं। इन देशों में अमेरिका के रक्षा प्रतिष्ठान एवं सैनिक मौजूद हैं, ईरान इन देशों में भी अमेरिकी सैनिकों एवं उसके प्रतिष्ठानों को निशाना बना सकता है।
खाड़ी युद्ध (1991) के समय कुवैत में थे 80 हजार भारतीय
खाड़ी युद्ध से पहले इराक में 80 हजार से अधिक भारतीय रहते थे लेकिन युद्ध शुरू होने से पहले ज्यादातर भारतीय नागरिकों ने इस देश को छोड़ दिया था। 2003 के अमेरिकी हमले के बाद इराक की कंपनियों में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों की भर्ती की गई लेकिन देश के बिगड़ते सुरक्षा हालात को देखते हुए इनमें से बहुत सारे लोगों ने देश छोड़ दिया। भारत सरकार द्वारा इराक की यात्रा पर लगे यात्रा प्रतिबंध उठाने के बाद ज्यादा सुरक्षित माने जाने वाले इरबिल, सुलेमानिया और दोहुक क्षेत्रों में भारतीय कामगारों की संख्या में तेजी देखी गई। इन क्षेत्रों में स्थित स्टील कारखानों, तेल कंपनियों एवं निर्माण क्षेत्रों में भारतीय नागरिक काम करते हैं।
एयर इंडिया ने 170,000 लोगों को किया एयरलिफ्ट
खाड़ी युद्ध के समय भारत सरकार ने एयरलिफ्ट कर करीब 170,000 लोगों को कुवैत से बाहर निकाला। फंसे हुए भारतीयों को निकालने के लिए एयर इंडिया ने अगस्त से 20 अक्टूबर के बीच 488 उड़ानें भरीं। करीब 63 दिन तक चले इस ऑपरेशन को सबसे बड़ा एयरलिफ्ट बताया गया।
2014 में ISIS के चंगुल से निकाली गईं 46 भारतीय नर्स
साल 2014 में इराक के ज्यादातर हिस्सों पर आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का कब्जा होने के बाद भारतीय नागरिक एक बार फिर संकट में फंस गए। भारत सरकार ने संकटग्रस्त इलाकों में फंसे हजारों भारतीयों को एक बार फिर सुरक्षित बाहर निकाला। इसी समय आईएसआईएस ने तिरकित के एक अस्पताल में 46 भारतीय नर्सों को 23 दिनों तक बंधक बना लिया। इन नर्सों को सुरक्षित वहां से निकालना भारत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती थी। भारतीय नर्सों की सुरक्षित रिहाई के लिए तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने खाड़ी देशों के साथ खासकर सऊदी अरब और इराक से लगातार बातचीत करती रहीं। यहां तक पिछले दरवाजे से आईएसआईएस से भी संपर्क साधा गया। बताया यह भी जाता है कि नर्सों की रिहाई में भारतीय कारोबारियों ने भी भूमिका निभाई।
इराक में अभी 12 हजार भारतीय
साल 2014 में इराक के ज्यादातर इलाकों पर आईएसआईएस का कब्जा हो जाने के बाद भारत सरकार ने यहां से हजारों भारतीयों को सुरक्षित बाहर निकाला। विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में इराक में भारतीयों की संख्या करीब 10 से 12 हजार के बीच है। ये भारतीय नागरिक मुख्य रूप से इराक के कुर्दिस्तान, बसरा, नजफ और कर्बला इलाके में रहते हैं।