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One Year of Narendra Modi Government: वर्चुअल रैली के जरिए आम लोगों से सीधा कनेक्शन जोड़ेगी बीजेपी

Updated May 26, 2020 | 00:12 IST

750 virtual rally from BJP: 30 मई को बीजेपी पहली वर्षगांठ मनाएगी। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लोगों से पार्टी अलग अंदाज में रूबरू होगी।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
30 मई को बीजेपी सरकार के एक साल हो जाएंगे पूरे
मुख्य बातें
  • 30 मई 2019 को पीएम नरेंद्र मोदी ने दोबारा संभाली थी देश की कमान
  • 23 मई 2019 को आम चुनाव के नतीजे घोषित हुए।
  • 2014 की तुलना में बीजेपी को ज्यादा सीटें हासिल हुईं।

नई दिल्ली। बीजेपी सरकार 30 मई को पहली सालगिरह मनाएगी। लेकिन इस दफा सालगिरह मनाने का अंदाजा थोड़ा हटकर होगा। कोरोना की वजह से बीजेपी करीब 750 वर्चुअल रैली करेगी और 10 करोड़ लोगों से रूबरू होगी। वर्चुअल रैली के जरिए सरकार अपनी कामयाबियों को जनता के सामने रखेगी और यह बताएगी कि तमाम तरह की चुनौतियों के बीच किस तरह पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश विकास के रास्ते पर अग्रसर है।

750 रैली और 1 हजार कांफ्रेंस
रैलियों के अलावा राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय 1000 वर्चुअल कांफ्रेंस के जरिए आम लोगों की उम्मीद, आकांक्षा को समझने की कोशिश करेंगे। इसके साथ यह बताएंगे पिछले एक साल में आम लोगों के जीवनस्तर को ऊंचा उठाने के लिए क्या कदम मोदी सरकार द्वारा उठाएंगे। इस समय पूरा देश कोरोना वायरल का सामना कर रहा है, लिहाजा सभी मंडलों में जो लोग वर्चुअल कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे उन्हें सैनिटाइजर भी मुहैया कराया जाएगा। 

10 करोड़ लोगों तक पहुंचने की कोशिश
बीजेपी का कहना है कि पहले वर्षगांठ के मौके पर पार्टी की कोशिश रहेगी कि वो समाज के सभी वर्गों से मुलाकात कर सके जिनके सहयोग के बिना इस मुकाम पर पहुंचना मुमकिन नहीं था। केंद्र में बीजेपी की सरकार जनाकांक्षाओं की जीत थी। देश में पहली बार एक ऐसी पार्टी की सरकार बनी जिसने अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ा। 2019 का चुनावों को सिर्फ सीटों की संख्या के तौर पर नहीं देखना चाहिए। वह चुनाव एक ऐसी शख्सियत के ईर्द गिर्द लड़ा जा रहा था जो एक संस्था का प्रतिनिधित्व करता था। 

सरकार की कामयाबी का होगा जिक्र
बीजेपी की तरफ से जारी पत्र में बताया गया है। कि पार्टी इस बात को जनता के सामने रखेगी  कि किस तरह से उन वादों को पूरा किया गया जो 2019-20 से पहले किसी सपने की तरह थे। धारा 370, तीन तलाक, नागरिकता संशोधन विधेयक, एनआरसी जैसे इस तरह के विषय थे जिसके जरिए राजनीतिक दल वोटों की रोटियां तो सेका करते थे। लेकिन जब अमलीजामा पहनाने का मौका आता था वो तरह के तरह के तर्क-कुतर्क के जरिए पीछे हट जाते थे।

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