- दौलत बेग ओल्डी (DBO) सबसे ऊंचे लैंडिंग ग्राउंड में से है
- डीबीओ हवाई पट्टी चीन सीमा के नजदीक है
- वायुसेना ने 43 साल बाद इसे 2008 में खोला था
नई दिल्ली: भारत और चीन के दरमियान लद्दाख में सीमा पर तनाव जारी है। तनाव को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच शनिवार को कोर कमांडर लेवल की बातचीत हो चुकी है। सरकार ने कहा है सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति का हल निकालने के लिए दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक तौर पर जुड़े रहेंगे। सीमा विवाद के बीच पूर्व (रिटायर्ड) वाइस चीफ एयर मार्शल प्रणब कुमार बारबोरा ने साल 2008 में दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) हवाई पट्टी को फिर से एक्टिवेट करने को लेकर अहम खुलासा किया है। बारबोरा ने बताया कि कैसे उन्होंने सरकार की इजाजत के बिना ही दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी को एक्टिवेट कर दिया था।
वायुसेना ने 43 साल बाद खोली थी पट्टी
साल 1965 के बाद डीबीओ हवाई पट्टी को 43 साल बाद फिर से मई 2008 में सक्रिय किया गया था। डीओबी दुनिया के सबसे ऊंचे लैंडिंग ग्राउंड में से एक है, जो 16,800 फुट की ऊंचाई पर है। इस हवाई पट्टी का उपयोग एएन-32 और सी-130जे सुपर हरक्युलिस जैसे विमान उतारने के लिए किया जा सकता है। बारबोरा ने एएनआई को बताया कि उनसे पूछा गया कि बिना सरकार की इजाजत के उन्होंने एयरफील्ड को एक्टिवेट कैसे किया। इस पर उन्होंने कहा कि कुछ भी लिखित में नहीं था, इसलिए सरकार को इस बारे में प्रॉपर चैनल के जरिए तब सूचित किया गया जब वह लैंडिंग कर के वापस लौट आए।
सरकार ने पूछा था ऐसा क्यों किया?
जब सरकार को पता चला कि बगैर इजाजत के पट्टी को को फिर से सक्रिय कर दिया गया है तो कैसी प्रतिक्रिया रही। इस सवाल पर बारबोरा ने कहा कि सरकार ने पूछा था कि ऐसा क्यों किया? हमने कहा कि ये एयरफोर्स की जिम्मेदारी है कि वह ट्रूप्स लॉजिस्टिक्स को मेंटेन करे। भारत में हवाई पट्टी को एक्टिवेट करने के बाद चीनी सरकार इसे लेकर एक बैठक करना चाहती थी। भारत ने इस बैठक के लिए हामी भी भर दी थी, लेकिन चीन ने कभी उस मुद्दे पर बात नहीं की। बारबोरा ने बिना इजाजत लिए ऐसा करने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि 1965 के बाद हवाई पट्टी को फिर से सक्रिय करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया जा रहा था। 43 साल बीत चुके थे और कई वजहों से मंजूरी नहीं मिल रही थी।