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Aishe Ghosh: जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष हमले में हुईं घायल, जानिए कौन हैं वो

Updated Jan 06, 2020 | 10:48 IST

Aishe Ghosh JNU President: जेएनयू हिंसा में घायल छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। लेकिन इस मुद्दे पर अब सियासत तेज हो गई है।

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तस्वीर साभार:&nbspYouTube
JNU के छात्र संघ चुनाव में एसएफआई की आइशी घोष 2,313 मतों के साथ जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष चुनी गई थीं

नई दिल्ली: देश के बेहद प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में रविवार को हिंसा में छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष घायल हो गई थीं। अब उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। लेकिन इस विषय पर सियासत चरम पर है। विपक्षी दल जहां इस हिंसा के लिए एबीवीपी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं गिरिराज सिंह ने वाम दलों के समर्थित संगठनों पर आरोप लगाया है।

वैसै तो इस घटना में कई ,स्टूडेंट घायल हुए हैं मगर यहां हम बात कर रहे हैं आइशी घोष (Aishe Ghosh) की जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (JNUSU) की अध्यक्षा हैं वो 5 जनवरी यानि रविवार को कैंपस में हुई हिंसा में बुरी तरह से लहुलुहान हालत में मिलीं।

छात्रसंघ ने दावा किया है कि उनकी अध्यक्ष आइशी घोष और कई दूसरे छात्रों को ABVP के सदस्यों ने पीटा है सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि छात्र संघ और  अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों के बीच झड़प हुई है वहीं एबीवीपी और लेफ्ट छात्रों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया है।

सितंबर 2019 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र संघ चुनाव में एसएफआई की आइशी घोष 2,313 मतों के साथ जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष चुनी गई थीं उन्होंने मनीष जांगीड़ को मात दी थी।

आइशी घोष एसएफआई से जुड़ी हुई तेज तर्रार नेता हैं और बताया जाता है कि वो स्टूडेंट हित के मुद्दों पर हमेशा छात्रों के साथ खड़ी नजर आती हैं, ये उनका जुझारू व्यक्तित्व ही है कि वो स्टूडेंट्स के बीच खासी लोकप्रिय हैं।

आइशी घोष झारखण्ड राज्य के धनबाद के रहने वाली हैं और उनकी शुरुआती स्कूलिंग भी धनबाद की ही है बाद में हायर एजुकेशन के लिए आइशी दिल्ली आ गईं और साल 2013 में दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के दौलतराम कॉलेज में पढ़ने गईं वहां डिग्री लेने के बाद बाद साल 2016 में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल रिलेशन में एम ए में  एडमिशन लिया।

आइशी घोष की छात्रसंघ की गतिविधियों में गहरी रुचि थी और वो स्टूडेंट्स से जुड़े मुद्दों पर हमेशा एक्टिव रहती थी उनके इसी जुझारुपन के चलते साल 2019 में संयुक्त वामपंथी मोर्चा ने उन्हें अध्यक्ष के उम्मीदवार के तहत उतारा जिसपर जीत हासिल कर वो खरी उतरीं थीं।

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