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JNU छात्र संघ अध्यक्ष आईसी घोष ने बताया पूरा घटनाक्रम, बोलीं- भीड़ ने हत्या के इरादे से किया था हमला

Updated Jan 08, 2020 | 23:22 IST

जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईसी घोष ने कहा कि भीड़ ने सामूहिक तौर पर उनकी हत्या करने की कोशिश की। उन्होंने हिंसा वाली शाम का पूरा घटनाक्रम अपनी शिकायत में बताया

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आईसी घोष ने बताया उस शाम जेएनयू में क्या हुआ

नई दिल्ली: जेएनयू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष आईसी घोष ने रविवार रात कैंपस में हुई हिंसा के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। उनकी शिकायत वसंत कुंज पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई। उन्होंने जल्द से जल्द दोषियों की गिरफ्तारी का अनुरोध करते हुए कहा, 'भीड़ ने साजिश रची और डराने और उनकी हत्या करने के इरादे से हमला किया।'

उन्होंने अपनी शिकायत में आगे हिंसा वाले दिन के पूरे घटनाक्रम को बताया और उस शाम को लेकर खुलासे किए। उन्होंने बताया कि उन्हें पहली बार भीड़ के बारे में तब पता चला जब वह कैंपस में एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को संबोधित कर रही थीं, अचानक उन्होंने देखा कि छात्र और शिक्षक हॉस्टल की ओर भाग रहे थे।

उन्होंने यह भी कहा कि भीड़ शिक्षकों और छात्रों पर 'बड़ी ईंटों और पत्थरों की बौछार' कर रही थी। भीड़ शांति सभा का हिस्सा बनने वाले लोगों को मारने और घायल करने के स्पष्ट इरादे के साथ आई थी।

उन्होंने आगे कहा कि उन्हें 20-30 लोगों ने पास में खड़ी कार के पीछे खींचा और नीचे गिरने के बाद रोड से पीटा गया। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अभी भी उन लोगों के चेहरे और वेशभूषा याद हैं। घोष ने कहा कि अगर वह लोग फिर से उनके सामने आते हैं तो वह उन्हें पहचान सकती हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि भीड़ ने उनके सिर, सीने और शरीर के बाकी हिस्सों पर रोड से हमला किया, जिससे उन्हें कई चोटें आईं। उनकी शिकायत में यह बात भी कही गई है कि भीड़ ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था।आईसी घोष ने कहा कि इस घटना ने उन्हें गंभीर शारीरिक चोटों के अलावा, मानसिक रूप से भी आघात पहुंचाया है और यह चौंकाने वाली बात है कि ऐसे क्रूर हमले के बाद भी जेएनयू प्रशासन और पुलिस कार्रवाई करने में विफल हो रहे हैं।

घोष ने अपनी शिकायत को यह कहकर समाप्त कर दिया कि वह घबराए हुए छात्रों और शिक्षकों को शांत करने के लिए अस्पताल से छुट्टी के बाद वापस कैंपस गईं थीं। आईसी ने पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसी पुलिस अधिकारी ने उनके मौके पर मौजूद गवाह होने और क्रूर हमले का शिकार होने के बावजूद बयान दर्ज नहीं किया है।

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