- हैदराबाद में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे आरएसएस प्रमुख
- भागवत ने कहा कि ताकत से नहीं बल्कि धर्म से पूरा होगा 'अखंड भारत' का सपना
- आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हम आज भी पाक, अफगानिस्तान को अपना मानकर चलते हैं
हैदराबाद : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने 'अखंड भारत' को लेकर बड़ा बयान दिया है। आरएसएस प्रमुख ने गुरुवार को 'अखंड भारत' (अविभाजित भारत) पर जोर देते हुए कहा कि यह अवधारणा हिंदुस्तान से अलग होने वाले पाकिस्तान जैसे देशों के लिए लाभकारी होगी। संस्कृत के एक पुस्तक के विमोचन मौके पर भागवत ने कहा कि 'अखंड भारत' का सपना हिंदू धर्म से साकार हो सकता है।
यह उपनिवेशवाद नहीं-आरएसएस प्रमुख
उन्होंने कहा, 'हम पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान जैसे देशों को अपना मानते हैं। एक समय वे हमारे साथ थे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे किस धर्म का पालन करते हैं और वे क्या खाते हैं। यह उपनिवेशवाद नहीं है। भारत वसुधैव कुटुम्बकम (पूरा विश्व एक परिवार है) की अवधारणा में विश्वास करता है।'
'हम आज भी उन्हें अपना मानते हैं'
समारोह में भागवत से पूछा गया कि क्या भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान और गंधार (अफगानिस्तान) में शांति हो पाई। इस पर उन्होंने कहा, 'चूंकि वे जीवन की ऊर्जा (भारत) से अलग हुए। हम आज भी उन्हें पहले की तरह अपना मानकर अपनाने के लिए तैयार हैं।' आरएसएस प्रमुख ने कहा कि 'अखंड भारत' संभव है। कुछ लोगों ने देश के बंटवारे से छह महीने पहले विभाजन पर आशंका जाहिर की थी। 'जवाहललाल नेहरू ने इसे मूर्खों का सपना कहते हुए' खारिज किया। इसी तरह से कुछ भी हो सकता है।' भागवत के मुताबिक ब्रिटिश संसद में लॉर्ड वेभेल ने कहा था कि 'ईश्वर ने भारत का निर्माण किया है और इसे कौन विभाजित करने जा रहा है।'
'किसी पर उपनिवेशवाद थोपना नहीं'
भागवत ने आगे कहा कि 'अखंड भारत' की बात करना किसी पर उपनिवेशवाद थोपना नहीं है। उन्होंने कहा, 'जब हम एकजुट होने की बात करते हैं तो हम ताकत की बात नहीं करते। यह लोगों के जुड़ने की बात होती है। लोग 'सनातन धर्म' से जुड़ते हैं जिसे हिंदू धर्म कहा जाता है।' आरएसएस प्रमुख शुक्रवार को अदीलाबाद में एक कार्यक्रम को संबोधित करने वाले हैं।
भारत से जुड़कर सुलझेंगी समस्याएं-भागवत
उन्होंने कहा, ‘इन देशों ने वह सब कुछ किया, जो वह कर सकते थे, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। इसका एक मात्र समाधान (भारत के साथ) फिर से जुड़ना है और इससे उनकी सभी समस्याएं सुलझ जाएंगी।’आरएसएस प्रमुख ने कहा कि लेकिन पुन: एकीकरण मानवीय धर्म के जरिए किया जाना चाहिए जो उनके अनुसार ‘हिंदू धर्म’ कहा जा जाता है। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् के जरिए भारत दुनिया में फिर से खुशहाली और शांति ला सकता है।