लाइव टीवी

क्या मैं उनका बंधुआ मजदूर हूं? बोलकर ममता बनर्जी ने नेताजी के स्टेच्यू अनावरण कार्यक्रम में जाने से किया इनकार

Updated Sep 08, 2022 | 18:13 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस कार्यक्रम के निमंत्रण पर सवाल उठाए और कहा कि एक अवर सचिव एक मुख्यमंत्री को कैसे लिख सकता है? क्या मैं उनका बंधुआ मजदूर हूं?

Loading ...

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह आज दिल्ली में नेताजी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के उद्घाटन में शामिल नहीं होंगी क्योंकि निमंत्रण उचित तरीके से नहीं दिया गया। ममता ने कहा कि मुझ कल एक अधिकारी से पत्र मिला जिसमें उन्होंने आज के कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। ममता बनर्जी ने कोलकाता में पार्टी की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे कल एक अवर सचिव द्वारा भेजा गया एक पत्र मिला जिसमें कहा गया था कि पीएम शाम 7 बजे नेताजी की प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे और आप शाम 6 बजे वहां अवश्य उपस्थित हों। जैसे कि मैं उनका नौकर हूं। एक अवर सचिव एक मुख्यमंत्री को कैसे लिख सकता है? क्या संस्कृति मंत्री इतने बड़े हो गए हैं। मुझे कार्यक्रम से एक दिन पहले न्योता भेजा जाता है। क्या मैं उनका बंधुआ मजदूर हूं? यह एक मुख्यमंत्री का अपमान है। उन्होंने कहा कि इसलिए मैंने आज दोपहर यहां नेताजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार (08 सितंबर) को कर्तव्यपथ का उद्घाटन और इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। कर्तव्य पथ राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक का मार्ग है। इस सड़क के दोनों तरफ लॉन और हरियाली के साथ ही पैदल चलने वालों के लिये लाल ग्रेनाइट पत्थरों से बना पैदल पथ इसकी भव्यता को और बढ़ा देता है। इस मार्ग पर नवीनीकृत नहरें, राज्यों की खाद्य वस्तुओं के स्टॉल, नयी सुविधाओं वाले ब्लॉक और बिक्री स्टॉल होंगे।

गौर हो कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय से मिले एक प्रस्ताव को पारित कर राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया। अब इंडिया गेट पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पूरे इलाके को कर्तव्य पथ कहा जाएगा। पीएमओ ने बुधवार को एक बयान में कहा कि पूर्ववर्ती राजपथ सत्ता का प्रतीक था और उसे कर्तव्य पथ का नाम दिया जाना बदलाव का परिचायक है और यह सार्वजनिक स्वामित्व तथा सशक्तीकरण का एक उदाहरण भी है।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।