- देश के विकास में निरक्षरों की फौज बाधा
- लोगों को संविधान प्रदत्त अधिकारों और कर्तव्यों को समझने की जरूरत
- धैर्य के साथ जनता ने इंतजार किया और 2014 में नरेंद्र मोदी को सत्ता सौंप दी
2014 और 2019 के आम चुनाव के नतीजे ने 1984 के नतीजों की याद दिला दी जब एक पार्टी अपने बलबूते सत्ता में आई। 2014 की विजय को ऐतिहासिक माना गया तो 2019 की जीत मे उस तरह की धारणा को खारिज कर दिया कि कोई सत्तासीन दल दोबारा पहले से भी अधिक बहुमत के साथ सरकार बना सकता है। इस विषय पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 1960 के दशक के बाद और 2014 तक लोगों को संदेह था कि क्या बहुदलीय लोकतांत्रिक व्यवस्था सफल हो सकती है ... बड़े धैर्य के साथ उन्होंने निर्णय लिया और पूर्ण बहुमत के साथ पीएम मोदी को सत्ता दी।
निरक्षरता, देश के विकास में बाधक
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि उन्हें ट्रोल किया गया था लेकिन मैं फिर से कहना चाहता हूं कि 'निरक्षरों की सेना के साथ कोई राष्ट्र विकसित नहीं हो सकता', उन्हें शिक्षित करने की सरकार की जिम्मेदारी है। कोई व्यक्ति जो अपने संवैधानिक अधिकारों को नहीं जानता है, वह योगदान नहीं दे सकता है। राष्ट्र, जितना किया जा सकता है।
इस समय देश में मजबूत नेतृत्व वाली सरकार
अमित शाह ने कहा कि आज देश के सामने अलग अलग तरह की चुनौतियां है। लेकिन जब नेतृत्व मजबूत हो,नीयत साफ हो तो किसी भी परेशानी का समाधान खुद ब खुद निकल आता है। मौजूदा सरकार की सबसे बड़ी खासियत भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और सुरक्षा के मोर्चे पर रही है। पिछले सात वर्षों में सरकार के दामन पर किसी तरह का दाग नहीं लगा। देश की सीमा सुरक्षित है तो आंतरिक सुरक्षा पुख्ता हुई है। देश में अब बम धमाके नहीं होते हैं, दंगों की संख्या में कमी है। अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि पिछली सरकार की पहचान ही घोटाला था। पिछली सरकार की पहचान कई पीएम वाली थी। इसके साथ अमित शाह बोले कि अनपढ़ शख्स की व्यवस्था का सबसे बड़ा भुक्तभोगी होता है और उस तस्वीर को बदलने के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार कोशिश कर रही है।