- शिशिर अधिकारी के बीजेपी में जाने की चर्चा काफी दिनों से चल रही थी
- वो एकरा में होने वाली केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैली में भी मौजूद रहेंगे
- माना जा रहा है कि शुवेंदु के भाई दिब्येंदु भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं
पश्चिम बंगाल की राजनीति चुनाव से पहले दिलचस्प होती जा रही है और टीएमसी पार्टी से बड़े नेताओं का पलायन जारी है इसी क्रम में बताया जा रहा है कि TMC छोड़कर बीजेपी जॉइन करने वाले शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के पिता और टीएमसी सांसद शिशिर अधिकारी (Sisir Adhikari) पश्चिम बंगाल में आज अमित शाह (Amit Shah) की रैली में बीजेपी पार्टी (BJP) का दामन थामने वाले हैं, शिशिर बंगाल की कांठी से सांसद हैं और बंगाल की राजनीति में बड़ा नाम माने जाते हैं।
शिशिर के बीजेपी में जाने की चर्चा काफी दिनों से चल रही थी और वो एकरा में होने वाली केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैली में भी मौजूद रहेंगे कहा जा रहा है कि शिशिर के अलावा शुभेंदु के भाई दिब्येंदु अधिकारी जो खुद टीएमसी से सांसद हैं वो भी आज अमित शाह के साथ मंच साझा करेंगे।
"कौन है ममता बनर्जी जो हमारे परमिशन के बिना पूर्वी मेदिनापुर और नंदीग्राम आएंगी"
माना जा रहा है कि शुवेंदु अधिकारी के भाई दिब्येंदु अधिकारी भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं क्योंकि तृणमूल कांग्रेस के चुनावी अभियान समेत अन्य गतिविधियों से वो काफी समय से पूरी तरह से अलग हैं। वहीं शिशिर अधिकारी ने एक न्यूज से बात करते हुए ममता बनर्जी पर निशाना साधा था उन्होंने हमला बोलते हुए कहा- कौन है ममता बनर्जी जो हमारे परमिशन के बिना पूर्वी मेदिनापुर और नंदीग्राम आएंगी।
शिशिर ने कहा, 'मैं ममता बनर्जी का हाथ पकड़कर नंदीग्राम लाया और आज मुझे और मेरे बेटे को गद्दार कह रही हैं, ममता पूर्वी मेदिनीपुर आने से पहले अधिकारी परिवार से इजाजत लेनी पड़ेगी।' शिशिर अधिकारी ने कहा था कि अगर मुझे न्योता दिया गया और मेरे बेटों ने इसकी अनुमति दी, तो मैं मोदी की जनसभा में जाऊंगा।
नंदीग्राम में शुवेंदु अधिकारी ममता बनर्जी को दे रहे हैं टक्कर
गौर हो शुवेंदु अधिकारी हाल ही में तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए हैं और नंदीग्राम विधानसभा सीट पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी शनिवार को शिशिर अधिकारी के आवास पर गई थीं और उन्होंने साथ में दोपहर का भोजन किया था. हालांकि, दोनों ने इसे 'शिष्टाचार भेंट' बताया था और इसके राजनीति से अलग बताया था।