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CAA: क्या देश को बरगला रही है सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस, ये हैं कुछ कारण

Updated Jan 23, 2020 | 20:29 IST

नागरिकता संशोधन कानून पर क्या कांग्रेस भ्रम की शिकार है, एक तरफ उसके नेता कहते हैं कि राज्य सरकारें इसे लागू करने से मना नहीं कर सकतीं तो दूसरी तरफ संवैधानिकता की दुहाई देते हैं।

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कांग्रेस सांसद हैं शशि थरूर
मुख्य बातें
  • नागरिकता संशोधन कानून पर कांग्रेस नेताओं के अलग अलग सुर
  • 'राज्य सरकारें सीएए को लागू करने से नहीं रोक सकती, यह केंद्र का कानून है'
  • एक तरफ सीएए लागू करने पर सहमति के सुर तो दूसरी तरफ संविधान का दुहाई देकर विरोध

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध और पक्ष में राजनीतिक फिजा में गरमी है। सीएए के मुद्दे पर कुल 144 अर्जियों पर बुधवार को सुनवाई हुई थी। अदालत ने कहा कि फैसले पर तत्काल रोक नहीं लगाई जा सकती है। लेकिन केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए चार हफ्ते और विरोधी पक्ष को प्रतिउत्तर के लिए एक हफ्ते का वक्त देते हुए अगली सुनवाई के लिए तारीख मुकर्रर कर दी। लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस की तरफ से अलग अलग तरह के बयान सामने आ रहे हैं जिससे पता चलता है कि या तो कांग्रेस का नेतृत्व भ्रम का शिकार है या सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेक रहा हैं। 
कांग्रेस नेताओं के बयान अलग अलग
इस कड़ी में तीन बड़े नेताओं के बयान पर ध्यान देने की जरूरत है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कहना है कि सीएए का विरोध एक राजनीतिक कदम अधिक है। नागरिकता केंद्र सरकार  देती है और यह साफ है कि ई राज्य नागरिकता नहीं दे सकता लिहाजा लागू करने या नहीं करने से राज्यों का संबंध नहीं है।थरूर बताते हैं कि कि राज्य सरकारें प्रस्ताव पारित कर सकती हैं या अदालत जा सकती हैं । राज्य सरकारें यह नहीं कह सकतीं कि वे सीएए को लागू नहीं करेंगी लेकिन वे इस बात को  कह सकती हैं कि एनपीआर-एनआरसी को लागू नहीं करेंगी क्योंकि इसमें उनकी अहम भूमिका होगी।

कपिल सिब्बल ने पिछले हफ्ते यह कह कर सनसनी फैला दी कि सीएए के क्रियान्वयन से कोई राज्य इनकार नहीं कर सकता क्योंकि संसद ने इसे पहले ही पारित कर दिया है। बाद में, उन्होंने इसे 'असंवैधानिक' करार दिया और स्पष्ट किया कि उनके रुख में कोई बदलाव नहीं है। इसके साथ ही कपिल सिब्बल कहते हैं कि केंद्र सरकार विभाजनकारी रास्ते पर आगे बढ़ रही है। 

अभिषेक मनु सिंघवी कहते हैं कि जिस तरह से सीएए पर विरोध के दौरान आजादी जैसे नारे लगा रहे हैं वो आंदोलन को कमजोर कर रहे हैं। इसके साथ ही वो कहते हैं कि संघीय सूची में जो कानून बनाए जाते हैं उस पर केंद्र का एकाधिकार है जिसे राज्यों को मानना है। लेकिन उसके असर से सरकार अंजान है, यही वो बिंदु है जिस पर कांग्रेस दोहरा रुख अपना रही है। 

शाहीन बाग में धरना वाली जगह कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह जाते हैं और कहते हैं कि यह एक गैरराजनीतिक मंच का धरना है। लेकिन वो वहां पर बयान देते हैं कि सीएए,एनपीआर और एनआरसी गैरकानूनी है। इसके साथ ही वो कहते हैं कि केंद्र सरकार का कदम देश को बांटने वाला है। मोदी सरकार इस तरह के हालात का निर्माण कर रही है कि समाज में वैमनस्यता फैले। इसके साथ ही अहमद पटेल ने कहा कि पार्टी कोशिश कर रही है कि जिस तरह से पंजाब में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया है ठीक वैसे ही दूसरी राज्य सरकारें भी फैसला करें।

 

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