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Anti CAA Protest: यूथ कांग्रेस ने PM मोदी और अमित शाह को भेजी संविधान प्रस्तावना की प्रति

Updated Dec 27, 2019 | 00:39 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच भारतीय युवा कांग्रेस ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत देश भर के बीजेपी नेताओं को संविधान की प्रस्तावना की प्रति भेजी है।

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भारतीय संविधान की प्रस्तावना
मुख्य बातें
  • नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन
  • यूथ कांग्रेस ने पीएम मोदी और अमित शाह को भेजी संविधान की प्रस्तावना की कॉपी
  • प्रदर्शनकारी इस कानून को धर्म के आधार पर बांटने वाला कानून बताकर वापस लेने की कर रहे हैं मांग

नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को और तेज करने के लिए कांग्रेस पार्टी की भारतीय युवा कांग्रेस (इंडियन यूथ कांग्रेस) ने देशभर के बीजेपी नेताओं को संविधान की प्रस्तावना की कॉपी भेजी है। एक प्रेस रिलीज के मुताबिक भारतीय युवा कांग्रेस ने संविधान प्रस्तावना की कॉपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के अलावा बीजेपी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी भेजे गए हैं।   

भारतीय युवा कांग्रेस के दिल्ली अध्यक्ष श्रीनिवास ने बताया कि एक तरफ बीजेपी के नेता ये दावा करते हैं कि वे संविधान के संरक्षक हैं वहीं दूसरी तरफ उनकी नीति और योजनाएं संविधान के मूलभूत प्रक्रियाओं की भी धज्जियां उड़ाती है। 

आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून (सिटीजनशिप एक्ट) पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले भाग कर आए हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाईयों को नागरिकता प्रदान करेगी।

आपको बता दें कि एक तरफ नागरिकता कानून के खिलाफ पूरे देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं कई जगहों से हिंसा की भी खबरें आ चुकी हैं। इसी बीच बीजेपी ने इस पर जन-जागरुकता अभियान चलाया है ताकि लोगों को इस कानून के बारे में जानकारी दी जा सके और उन्हें अफवाहों से दूर रखा जा सके।

नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) को लेकर देश में जगह-जगह हो रहे विरोध को देखते हुए भाजपा अब व्यापक जनजागरण अभियान चलाकर लोगों की शंकाओं का समाधान करने में जुटी है। भाजपा ने संगठन के लिहाज से अब तक की सबसे बड़ी बैठक गुरुवार को यहां पार्टी मुख्यालय पर की।

गौरतलब है कि जब से ये कानून संसद में पारित हुआ है तब से ही इस पर देश भर में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं और इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

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