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दूल्हे जैसा सजाकर अपने लाडले को दी विदाई, गाजे-बाजे के साथ निकाली शहीद बेटे की अंतिम यात्रा

Updated Feb 14, 2022 | 15:40 IST

Martyr Ankesh Bhardwaj: अंकेश के पिता बांचा राम चौधरी अपने बेटे की अंतिम विदाई दूल्हे के रूप में करना चाहते थे। घर को फूलों से सजाया गया। बेटे के सम्मान में घर पर तिरंगा फहराया गया। पिता ने अंकेश के सिर पर सेहरा लगाया तो मां ने पार्थिव शरीर नोटों की माला चढ़ाई।

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बिलासपुर जिले के रहने वाले थे राइफलमैन अंकेश भारद्वाज। तस्वीर-Courtesy: ADGPI
मुख्य बातें
  • अरुणाचल प्रदेश में छह फरवरी को हुए हिमस्खलन में सेना के 7 जवान शहीद हुए
  • बिलासपुर जिले के रहने वाले अंकेश भारद्वाज भी शहीद हुए, दो साल पहले भर्ती हुए थे
  • अंकेश के पिता का कहना है कि वह अपने छोटे बेटे को भी सेना में भर्ती कराएंगे

बिलासपुर : गम के माहौल में घर की ऐसी साज-सज्जा की गई मानो कि घर से बारात निकालनी हो। शहीद के बेटे के सिर पर सेहरा बांधकर गाजे-बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई। यह जज्बा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के सेऊ निवासी शहीद राइफलमैनअंकेश भारद्वाज के परिवार में देखने को मिला। 22 वर्षीय अंकेश अरुणाचल प्रदेश में छह फरवरी को हुए हिमस्खलन में अपनी जान गंवा बैठे। इस प्राकृतिक हादसे में उनके साथ छह और अन्य जवान भी काल के गाल में समा गए। सात दिन बाद अंकेश का पार्थिव शरीर जब रविवार को उनके गांव पहुंचा तो लोगों की आखें नम थीं। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़े थे।

घर को फूलों से सजाया गया
अंकेश के पिता बांचा राम चौधरी अपने बेटे की अंतिम विदाई दूल्हे के रूप में करना चाहते थे। घर को फूलों से सजाया गया। बेटे के सम्मान में घर पर तिरंगा फहराया गया। पिता ने अंकेश के सिर पर सेहरा लगाया तो मां ने पार्थिव शरीर नोटों की माला चढ़ाई। बेटे की विदाई का यह अद्भुत दृश्य देख वहां मौजूद सभी लोगों की आखें नम हो गईं। अंतिम यात्रा में पिता बांचा राम सिर पर पगड़ी और कोट-टाई पहनकर शामिल हुए। अंकेश की अंतिम यात्रा में रास्ते भर लोग भारत माता की जय का जयकारा लगाते हुए मोक्षधाम पहुंचे। फिर राजकीय सम्मान के साथ अंकेश को अंतिम विदाई दी गई।     

हिमस्खलन की चपेट में आया था अंकेश का गश्ती दल
इस मौके पर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के राजिंदर गर्ग और अन्य अधिकारी मौजूद रहे। अंकेश दो साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। अंकेश की तैनाती अरुणाचल प्रदेश में थी। गत रविवार को इनका गश्ती दल छह फरवरी को हिमस्खलन की चपेट में आ गया। इसके दो दिनों के बाद मंगलवार को लापता सैनिकों के शव बरामद हुए। 

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अपने छोटे बेटे को भी सेना में भेजना चाहते हैं बांचा राम
अपने बड़े बेटे को खोने के बावजूद बांचा राम अपने छोटे बेटे को भी सेना में देखना चाहते हैं। उनके हौसले एवं जज्बे में कोई कमी नहीं आई है। पूर्व सैन्य कर्मी बांचा राम का कहना है कि उनका छोटा बेटा भी सेना में जाकर देश सेवा करेगा। छोटे बेटे को वह खुद सेना में भेजने की तैयारी करवा रहे हैं। देश सेवा का जज्बा उनके खून में है और वह हमेशा कायम रहेगा।

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