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अरूंधती राय की सख्त टिप्पणी, बोलीं-भारत ऐसा विमान जो 'दुर्घटना' की ओर बढ़ रहा है

Updated May 05, 2022 | 12:10 IST

Arudhanti Roy: अरूंधति राय ने आज की राजनीति पर नेताओं को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि अब नेता पांच किलोग्राम अनाज और एक किलोग्राम नमक बांटने के नाम पर चुनाव जीत रहे हैं।

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अरूंधती रॉय ने की सख्त टिप्पणी
मुख्य बातें
  • रॉय ने बताया कि हाल में मैंने अपने एक पायलट मित्र से सवाल किया कि क्या वह विमान को पीछे की ओर उड़ा सकते हैं
  • अरुंधति राय बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका है।
  • द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स उनकी प्रमुख किताब है।

Arudhanti Roy:बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अरुंधति राय ने भारत की मौजूदा स्थिति पर सख्त टिप्पणी की है। उन्होंने भारत की तुलना ऐसे विमान से की है जो पीछे की ओर उड़ान भर रहा है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा विमान है जो 'दुर्घटना' की ओर बढ़ रहा है। द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स की लेखिका अरूंधति राय ने आज की राजनीति पर नेताओं को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में वास्तिवक रूप से क्रांतिकारी आंदोलन किए गए थे। जब नेताओं ने धन और जमीन के पुनर्वितरण के लिए आंदोलन किए। अब नेता पांच किलोग्राम अनाज और एक किलोग्राम नमक बांटने के नाम पर चुनाव जीत रहे हैं।राय ने यह टिप्पणी 'वाई डू यू फियर माइ वे सो मच' शीर्षक से प्रकाशित किताब के लोकार्पण के अवसर पर की। इस किताब में जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ता जीएन साईबाबा की कविताओं और पत्रों का संकलन है।

भारत की तुलना विमान से

इसी कार्यक्रम में रॉय ने बताया कि हाल में मैंने अपने एक पायलट मित्र से सवाल किया कि क्या वह विमान को पीछे की ओर उड़ा सकते हैं?। वह जोर से हंसा। मैंने तब कहा वास्तव में ऐसा ही यहां हो रहा है जहां पर नेता इस देश को पीछे की ओर उड़ा रहे हैं, सब कुछ गिर रहा है और हम दुर्घटना की ओर बढ़ रहे हैं। जाहिर अरूंधती रॉय इस बयान से यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि भारत रूपी विमान गलता दिशा में बढ़ रहा है।

किस क्रांतिकारी आंदोलन की बात कर रही है अरूंधती

कार्यक्रम में 1960 के दशक के जिस  क्रांतिकारी आंदोलन की बात कर रही हैं। उनका मतलब उस दौर में किए गए भूमि सुधार से है। जब राज्यों ने भूमि सुधार कर भूमिहीन वर्ग को भूमि आवंटन किए थे। और अब वह मौजूदा राज्यों की नीति की आलोचना कर रही है। जिसमें लोगों को फ्री में अनाज, राशन और दूसरी सुविधाएं दी जा रही है। पिछले 3-4 साल राजनीति में देखा जाय तो लोकसभा चुनाव से लेकर दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ आदि चुनावों के नतीजों में ऐसी योजनाओं के जरिए तैयार हुए नए लाभार्थी वर्ग की निर्णायक भूमिका हो गई है।

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