नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) पर देशभर में जारी व्यापक विरोध-प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने की मंजूरी दे दी है। सरकार के इस कदम को भी संदेह की नजर से देखा जा रहा है। गृह मंत्री अमित शाह ने हालांकि स्पष्ट किया है कि एनपीआर और एनआरसी में कोई संबंध नहीं है, पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (आईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि यह देशभर में एनआरसी लागू करने की दिशा में पहला कदम है।
सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा, 'वे नागरिकता अधिनियम, 1955 के मुताबिक एनपीआर करने जा रहे हैं, तो क्या यह एनआरसी से जुड़ा नहीं है? केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह देश को गुमराह क्यों कर रहे हैं? उन्होंने मेरा नाम लेकर संसद में कहा 'ओवैसी जी एनआरसी को पूरे देश में लागू किया जाएगा'। अमित शाह साहब, जब तक सूरज पूर्व दिशा से उगता रहेगा, हम सच बोलते रहेंगे। एनआरसी के लिए पहला कदम है एनपीआर। जब अप्रैल, 2020 में एनपीआर पूरा हो जाएगा तो अधिकारी डॉक्यूमेंट्स के लिए पूछेंगे... फिर अंतिम लिस्ट एनआरसी होगी।'
उन्होंने यह भी कहा कि 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि एनपीआर, एनआरसी की दिशा में कदम है। उन्होंने तंज भरे लहजे में कहा, 'मैं मानता हूं कि अमित शाह मुझसे अधिक पढ़े-लिखे हैं। उन्हें अपने मंत्रालय की 2018-19 की सालाना रिपोर्ट पढ़नी चाहिए। चौथे नंबर पर गृह मंत्री खुद कहते हैं कि एनपीआर, एनआरआईसी की दिशा में पहला कदम है। हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने यह भी कहा कि नवंबर 2014 में केंद्रीय मंत्री की हैसियत से किरण रिजिजू ने भी एक सवाल के जवाब में कहा था कि एनपीआर, एनआईसी की दिशा में पहला कदम है।
ओवैसी के साथ-साथ कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस ने भी एनपीआर को लेकर सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा किया है। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट और पूर्व गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू के राज्यसभा में एक सवाल के उत्तर का हवाला दिया और कहा कि आखिर झूठ कौन बोल रहा है? तृणमूल सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार एनपीआर के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाने का प्रयास कर रही है और यह देशव्यापी एनआरसी की दिशा में पहला कदम है।