- असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर साधा केंद्र सरकार पर निशाना
- ओवैसी ने कहा- भारत में भी श्रीलंका की तरह पीएम के आवास में घुस सकती है भीड़
- एनएसए डोभाल को बताना चाहिए कि धार्मिक कट्टरता कौन फैला रहा है : ओवैसी
Asaduddin Owaisi News: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को जयपुर में आयोजित एक टॉक शो में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि लोगों का संसदीय लोकतंत्र से विश्वास उठ रहा है। ओवैसी ने कहा कि इस देश में हिंदू-मुस्लिम राजनीति का खामियाजा सिर्फ मुस्लिम समुदाय को भुगतना पड़ रहा है। ओवैसी ने कहा, 'अभी देश के हालात को देखते हुए ऐसा लगता है कि किसी दिन भारत के लोग भी प्रधानमंत्री आवास में उसी तरह प्रवेश करेंगे जैसे वे श्रीलंका में राष्ट्रपति भवन में घुसे थे।'
लोगों का राजनीतिक दलों पर भरोसा नहीं
श्रीलंका में राजनीतिक संकट के बारे में उन्होंने कहा, ‘श्रीलंका की ये स्थिति इसलिये हुई क्योंकि वहां की सरकार ने बेरोजगारी, महंगाई के मुद्दे का समाधान नहीं किया...जनता को कुछ बताया नहीं।’ओवैसी ने कहा कि आज राजनीतिक दल अप्रासंगिक होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'दिल्ली में वकीलों का प्रदर्शन हो, किसान आंदोलन हो, सीएए बिल हो या अग्निपथ योजना, नेताओं का समर्थन लिए बिना लोग खुद सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे हैं। लोगों का अब राजनीतिक दलों पर भरोसा नहीं रह गया है। यह लोकतंत्र का सबसे बड़ा नुकसान है। सभी राजनीतिक दलों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।' हैदराबाद के सांसद ने कहा कि स्थिति में सुधार की सख्त जरूरत है।
एनएसए डोभाल को बताना चाहिए कि धार्मिक कट्टरता कौन फैला रहा है : ओवैसी
डोभाल पर निशाना
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डाभोल पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा, ‘हम तो यह उम्मीद कर रहे थे कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बताते कि वो चंद लोग कौन हैं..उन्हें देश को बताना चाहिए वो लोग कौन हैं। उन्हें स्पष्ट बोलना चाहिए।’ दरअसल डोभाल ने शनिवार को विभिन्न धर्मों के नेताओं से धर्म और विचारधारा के नाम पर वैमनस्यता पैदा करने की कोशिश कर रही कट्टरपंथी ताकतों का मुकाबला करने का आग्रह किया था, जो देश पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
डोभाल ने ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल (एआईएसएससी) द्वारा आयोजित एक अंतरधार्मिक सम्मेलन में विभिन्न धर्मों के धार्मिक नेताओं की उपस्थिति में यह टिप्पणी की। ‘विभाजनकारी एजेंडा’ को आगे बढ़ाने और ‘राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों’ में शामिल होने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की वकालत करते हुए सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित किया गया।
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