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मोहन भागवत के बयान पर शेर के जरिए असदुद्दीन ओवैसी का तंज, हमें तो देखना ये है कि तू जालिम कहां तक है

Updated Jun 04, 2022 | 15:53 IST

आखिर वो कौन सी वजह है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की जरूरत क्या है पर असदुद्दीन ओवैसी को भरोसा नहीं हो रहा है।

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असदुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम के मुखिया
मुख्य बातें
  • मोहन भागवत ने कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग क्या देखना
  • अब मंदिर के लिए नया आंदोलन नहीं करना है
  • संघ लोगों को जोड़ने में यकीन करता है।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने अभी हाल ही में कहा कि हर मस्जिद में शिवलिंग क्या देखना, राम मंदिर आंदोलन से जुड़ने के पीछे वजह थी जो पूरी हो चुकी है किसी मंदिर के लिए अब नया आंदोलन नहीं करना है। ज्ञानवापी का जिक्र करते हुए कहा कि हर एक को पूजा करने का अधिकार है लेकिन इतिहास की अनदेखी कैसे कर सकते हैं। जो इतिहास में हुआ उसके लिए आज का हिंदू या मुस्लिम समाज जिम्मेदार नहीं है, हमारे पूर्वज तो एक ही थे। हमें मिलजुल कर आगे बढ़ना है। संघ जोड़ने में भरोसा करता है। लेकिन एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने एक शेर के जरिए यह बताया कि उन्हें संघ पर भरोसा नहीं है। ओवैसी ट्वीट के जरिए कहते हैं कि सितमगर तुझ से उम्मीद-ए-वफ़ा होगी जिन्हें होगी,हमें तो देखना ये है कि तू ज़ालिम कहाँ तक है।

ज्ञानवापी पर भी संघ कुछ कर सकता है
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के शिवलिंग को लेकर दिए बयान पर कहा है कि ये संघ का पुराना तरीका है। जब कोई मुद्दा लोकप्रिय नहीं रहता तो उससे दूरी बनाते हैं और बाद में उससे खुद को जोड़ लेते हैं. ट्विटर पर ओवैसी ने भागवत के बयान का जवाब 17 बिंदुओं में दिया।वो कहते हैं कि ज्ञानवापी पर भागवत के बयान को नजरंदाज करना चाहिए, उन्होंने कहा था कि ऐतिहासिक कारणों से बाबरी के लिए आंदोलन करना आवश्यक था। दूसरे शब्दों में कहें तो आरएसएस ने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं किया और मस्जिद के विध्वलंस में हिस्सा लिया। क्या इसका मतलब यह है कि संघ ज्ञानवापी पर भी कुछ ऐसा ही करेगा।  

क्या कहते हैं जानकार

जानकारों का कहना है कि आरएसएस प्रमुख ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की अब सभी लोगों को देश के विकास के बारे में और शिद्दत से जुड़ने की जरूरत है। संघ लोगों को जोड़ने में यकीन करता है। लेकिन इसके साथ ही जब वो इतिहास का जिक्र करते हैं तो दूसरे पक्षों को लगता है कि यह सिर्फ और सिर्फ भरमाने की कोशिश है। लिहाज असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि भरोसा कैसे हो, राम मंदिर के मुद्दे पर दक्षिणपंथी सोच रखने वालों ने तो सुप्रीम कोर्ट की भी नाफरमानी कर दी। 

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