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अशोक गहलोत सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए खोला खजाना, करोड़ों के प्रस्ताव को दी मंजूरी

Updated Jan 18, 2022 | 08:37 IST

अशोक गहलोत सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 98.55 करोड़ रुपये खर्च करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। सरकार का कहना है कि अल्पसंख्यक समाज के हितों के लिए भी शासन और प्रशासन दोनों सजग हैं।

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अशोक गहलोत सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए खोला खजाना
मुख्य बातें
  • अल्पसंख्यक समाज के लिए अशोक गहलोत सरकार ने खोला खजाना
  • कब्रिस्तान, मदरसा, स्कूलों की चारदिवारी बनाने के लिए दी गई रकम
  • 15 छात्रावासों में ई-स्टडी में खर्च होंगे पैसे

सीएम गहलोत ने राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय के समावेशी विकास के लिए स्थापित 100 करोड़ रुपये के कोष से विभिन्न योजनाओं में 98.55 करोड़ रुपये खर्च करने के संशोधित प्रस्ताव को मंजूरी दी है।प्रस्ताव के अनुसार अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के पारंपरिक कौशल के विकास के लिए 50 लाख रुपये, अल्पसंख्यक शिल्पकारों को सहायता के साथ-साथ उनके उत्पादों के विपणन और प्रचार के लिए 1.25 करोड़ रुपये, निर्माण के लिए 21.80 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।

अशोक गहलोत सरकार के कुछ खास निर्णय

  1. जयपुर में एक अंग्रेजी माध्यम आवासीय विद्यालय के अल्पसंख्यक युवाओं को अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में प्रशिक्षण के लिए 2 करोड़ रुपये, उन्हें रोजगार योग्य बनाने के लिए।
  2.  वक्फ भूमि या कब्रिस्तान, मदरसों और सार्वजनिक भूमि पर स्कूलों में चारदीवारी के निर्माण के लिए कुल 5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
  3.  इसी प्रकार, 15 सरकारी अल्पसंख्यक छात्रावासों में ई-स्टडी रूम विकसित करने के लिए 58 लाख रुपये, अल्पसंख्यक बहुल बस्तियों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 44 करोड़ रुपये, इंदिरा गांधी शहरी क्रेडिट कार्ड योजना के तहत ऋण पर ब्याज सब्सिडी के लिए 5 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। और मौलाना आजाद विश्वविद्यालय, जोधपुर के प्रस्ताव के अनुसार।
  4. अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए 'शोध पीठ' की स्थापना के लिए 2 करोड़ रुपये, अल्पसंख्यक किसानों को सोलर पंप अनुदान योजना के लिए 15.42 करोड़ रुपये और अल्पसंख्यक मेधावी युवा प्रोत्साहन योजना के लिए 1 करोड़ रुपये खर्च करने की भी स्वीकृति दी गई है। आधिकारिक बयान में इस संबंध में जानकारी दी गई है। 

जानकारों का कहना है कि  इस मंजूरी से अल्पसंख्यक समुदाय को कौशल विकास, शैक्षिक गतिविधियों और रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे। हालांकि इन फैसलों पर सियासी घमासान मचना भी तय है।

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