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UP Election 2022: अयोध्या बनी 'चुनावी राजधानी', नेताओं का लग रहा राम नगरी में डेरा

Updated Sep 09, 2021 | 16:27 IST

UP Election 2022: भाजपा नेताओं का कहना है, राम और अयोध्या हमारे लिए राजनीति का विषय कभी नहीं रहे हैं, वह तो हमारी आस्था का विषय हैं। विपक्षी दल इसे राजनीतिक चश्मे से देखते हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
अयोध्या इस समय राजनीतिक दलों की पहली पसंद बन गई है
मुख्य बातें
  • दिसंबर 2020 में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अयोध्या में बोले, जब राम मंदिर बनेगा तो पत्नी,बच्चों संग दर्शन करूंगा।
  • बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने जुलाई 2021 को अयोध्या में रामलला के दर्शन किए, हनुमान गढ़ी में पूजा-पाठ और सरयू तट पर आरती की।
  • 14 सितंबर 2021 को आम आदमी पार्टी अयोध्या में तिरंगा यात्रा निकालने जा रही है।

नई दिल्ली:  'मुझे अपनी शरण में ले लो राम' साल 1954 में मोहम्मद रफी द्वारा गाया भजन, इस समय उत्तर प्रदेश की राजनीति का सच बन गया है। जैसे-जैसे 2022 के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, सभी दल राम से नजदीकी बढ़ाते जा रहे हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं  का राम की जन्म भूमि अयोध्या पहुंचने का तांता लगा हुआ है। हालत यह है कि  समाजवादी  पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, बसपा के प्रमुख नेता सतीश चंद्र मिश्रा, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अयोध्या पहुंच कर वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। 

वहीं दूसरी तरफ राम मंदिर आंदोलन के सहारे सत्ता के शिखर पर पहुंची भाजपा विपक्षी दलों के बदले रवैयों को अपनी जीत बता रही है। उनके नेताओं का कहना है हमारे लिए तो राम आस्था का प्रतीक हैं। इसलिए ही उत्तर प्रदेश का मुख्य मंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ करीब 29 बार अयोध्या जा चुके हैं। और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण के भूमि पूजन से लेकर कई मौके पर अयोध्या पहुंचते रहे हैं।

यह भी साफ है कि भारतीय जनता पार्टी 2022 के विधान सभा चुनावों में राम मंदिर को बड़ा मुद्दा बनाएगी। हालांकि भाजपा के रवैये पर विपक्षी दलों का कहना है " राम किसी की जागीर थोड़ी हैं। वह सबके हैं, यह तो भाजपा है जिसने उनके नाम पर वैमनस्य फैलाया है।" राजनीतिक दलों की रवैये से साफ है कि चुनाव जैसे नजदीक आते जाएंगे, राम के नाम पर राजनीति जोर पकड़ती जाएगी। 

राजनीति में कैसे अहम होती गई अयोध्या 

राजनीतिक रुप से अयोध्या सबसे ज्यादा सुर्खियों  में राम मंदिर आंदोलन से रही है। 1989 में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने शाहबानो केस के बाद हिंदुओं की नाराजगी दूर करने और विहिप द्वारा चलाए जा रहे राम मंदिर आंदोलन के दबाव में विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे के परिसर के पास शिलान्यास का अनुमति दे दी थी। और 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर का शिलान्यास विहिप की अगुआई में किया गयाा। राजीव गांधी ने इसका राजनैतिक फयदा लेने के लिए 1989 के लोक सभा चुनावों की शुरूआत भी अयोध्या से की थी। लेकिन कांग्रेस के लिए यह दांव काम नहीं आया और 1984 में उत्तर प्रदेश की 85 में से 82 लोक सभा सीट जीतने वाली कांग्रेस को 1989 में केवल 15 सीटें मिली। वहीं भाजपा , जिसे पूरे देश में 1984 में केवल दो सीटें मिली थीं वह उत्तर प्रदेश में 8 सीटें जीत गई। और 1991 में भाजपा की कल्याण सिंह के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में पहली बार बहुमत के साथ सरकार बनीं। इसके बाद 1992 में विवादित बाबरी मस्जिद ढांचा के गिरने से लेकर नवंबर  2019 तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण का फैसला आने तक भाजपा के लिए यह मुद्दधा हिंदू राजनीति का केंद्र बन गया। जबकि विपक्षी दलों ने मुस्लिम वोटों के दूर होने के डर से दूरी बना ली। हालांकि 2014 के चुनावों के बाद कांग्रेस की एं.के.एंटनी की अध्यक्षता में बनी समिति ने पार्टी की हार का एक बड़ा कारण यह बताया था, कि कांग्रेस की छवि हिंदू विरोधी बन गई है। जिसकी वजह से एक बड़ा तबका पार्टी से दूर हो गया है।

2022 के विधान सभा चुनाव से पहले राजनीतिक दलों की कवायद

-दिसंबर 2020 में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अयोध्या में बोले जब राम मंदिर बनेगा तो पत्नी,बच्चों संग दर्शन करूंगा , परिक्रमा मार्ग पर पारिजात के वृक्ष सबसे पहले समाजवादी सरकार में लगा गया। उन्होंने यह भी कहा था कि अयोध्या और फैजाबाद में जो भी विकास के काम हुए हैं, उनको गति समाजवादी सरकार के समय में मिली थी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा अयोध्या में मंदिर निर्माण सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हो रहा है। जाहिर है अखिलेश ऐसा कह कर भाजपा को मंदिर निर्माण का क्रेडिट नहीं लेने देना चाहते हैं।

-कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या पहुंची थी। इस दौरान प्रियंका ने कांग्रेस प्रत्याशी निर्मल खत्री के लिए रोड शो करने के साथ-साथ हनुमान गढ़ी के दर्शन किए थे। राममंदिर भूमि पूजन के दौरान उन्होंने ट्वीट किया था कि, 'राम सब में हैं, राम सब के साथ हैं। भगवान राम और माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने ' 

-बहुजन समाज पार्टी ने 23 जुलाई 2021 को अयोध्या से ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने मिशन के पहले चरण की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम की शुरुआत बसपा नेता और राज्य सभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा ने की थी। इस दौरान उन्होंने रामलला के दर्शन किए, हनुमान गढ़ी में पूजा-पाठ और सरयू तट पर आरती भी की थी।

-एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का भी अयोध्या पहुंचने से पहले फैजाबाद नाम को लेकर उनके पोस्टर सुर्खियों में छाए रहे। 

-इसी तरह 14 सितंबर 2021 को आम आदमी पार्टी अयोध्या में तिरंगा यात्रा निकालने जा रही है। 


राजनीतिक दलों के रवैये पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहा "जिन दलों को अपने नेतृत्व और अपने काम पर भरोसा नहीं है, वह भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे पर अपना राजनीतिक अभियान चलाएंगे। जिन दलों की यह निष्ठा होगी कि उत्तर प्रदेश में हर युवक को रोजगार चाहिए, हर परिवार को स्वास्थ्य की व्यवस्था चाहिए, हर शहर और गांव को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए, हर रोज हिंदू-मुस्लिम और दंगों की राजनीति नहीं चाहिए, वो दल जनता का समर्थन पाएंगे। और जनता ने पंचायत चुनाव में बताया है कि उसका भरोसा अखिलेश यादव के साथ है। जनता जानती है जो काम अखिलेश यादव ने मुख्य मंत्री रहते हुए किए हैं, वह काम ही उत्तर प्रदेश चलाने का आधार हैं। इस देश के मुद्दे हिंदू-मुस्लिम के झगड़े नहीं है। यह बात मीडिया के एक तबके को समझनी चाहिए।"

अयोध्या पर भाजपा का खास फोकस

अयोध्या में ट्रस्ट द्वारा बनाए जा रहे मंदिर के अलावा योगी सरकार का फोकस अयोध्या को दुनिया के पर्यटन नक्शे पर बेहतर सुविधाओं के साथ लाना है। इसी के तहत एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन,  बुलेट ट्रेन, राजमार्ग, फाइव स्टार होटल से लेकर अत्याधुनिक सुविधाएं वहां विकसित की जा रही है। हाल ही में अयोध्या के विकास की समीक्षा बैठक पर प्रधान मंत्री ने कहा था अयोध्या को इस तरह से विकसित किया जाए कि हर किसी को अपने जीवन में कम से कम एक बार अयोध्या आने की इच्छा महसूस हो। 

 उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल से कहते हैं 'राम और अयोध्या हमारे लिए राजनीति का विषय कभी नहीं रहे हैं, वह तो हमारी आस्था का विषय हैं। जहां तक विपक्ष की बात है यह तो साफ है कि राजनीति में बदलाव आया है। और इसे विपक्ष महसूस कर रहा है। राम जन्म भूमि और अयोध्या को लेकर हमारा दृष्टिकोण शुरू से साफ था। हमने साफ तौर पर कहा था कि राम जन्मभूमि स्थल में भव्य मंदिर बनना चाहिए, वह आम सहमति से बन सकता है या फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से। अब अच्छी बात है कि अब विपक्षी दल भी अयोध्या जा रहे हैं। जहां तक उनकी राजनीति की बात है तो राजीव गांधी ने अपना चुनावी अभियान अयोध्या से शुरू किया था, तो साफ है कि वह उसे राजनीतिक रुप से देखते हैं।'

साफ है कि उत्तर प्रदेश के चुनावों के लिए अयोध्या एक बड़ा चुनावी मैदान बन गया है। और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जाएंगे, वह सुर्खियों में छाते जाएगा। ऐसे में आने-वाले 6-7 महीने में अयोध्या को लेकर राजनीतिक दलों के कई नए रंग देखने को मिलेंगे। हालांकि इस दौरान राजनीतिक दलों को यह भी याद रखना चाहिए कि तुलसीदास फिल्म में मुझे अपनी शरण में ले लो राम भजन मोहम्मद रफी ने गाया था। और यही भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का आधार है।

 

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