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Ayodhya: ऐतिहासिक मामले की दिलचस्प सुनवाई पूरी, जानें- अब आगे क्या हो सकता है

Updated Oct 17, 2019 | 10:57 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Ayodhya title case Moulding of relief: बुधवार को सुनवाई पूरी होने के बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। इन सबके बीच चैंबर में आगे की राह तय करने के लिए पीठ के सदस्य बैठेंगे।

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मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए तीन दिन का समय
मुख्य बातें
  • मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए तीन दिन का समय
  • सिविल सूट मामलों में दी जाती है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ
  • हारा हुआ पक्ष बदले में कुछ मांग करता है।

नई दिल्ली। 16 अक्टूबर को अयोध्या टाइटल सूट केस की सुनवाई पूरी हो गई। अब फैसला आने तक इस मामले में क्या होगा इस पर हर किसी की नजर टिकी हुई है। चीफ जस्टिस समेत पांच सदस्यों वाली पीठ गुरुवार को अपने चैंबर में बैठेगी और आगे का रास्ता का तय करेगी। इन सबके बीच सभी पक्षकारों को मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि मोल्डिंग ऑफ रिलीफ क्या होता है। 

क्या है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ
सिविल सूट यानी जमीन पर मालिकाना वाले मामलों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 142 और सीपीसी की धारा 151 के तहत इसे उपयोग में लाया जाता है। दरअसल याचिकाकर्ता अदालत से केस के संबंध में कुछ मांग करते हैं, अगर अदालत उनकी मांग से सहमत नहीं होती है तो आगे क्या विकल्प हैं जिसके तहत उन्हें राहत दी जा सकती है। अगर किसी जमीन पर एक से ज्यादा दावेदार हैं और फैसला किसी एक के पक्ष में आता है तो दूसरे पक्ष को क्या मिलेगा। 

16 अक्टूबर को हुई सुनवाई में अदालत में कई ऐसे दृश्य सामने आए जब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई खफा हो गए। अंतिम दिन की सुनवाई में जब हिंदू पक्षकारों की तरफ से कुछ और साक्ष्यों के पेश करने की बात कही गई तो वो भड़कते हुए बोले कि अब बहुत हो चुका है। सुनवाई तो किसी भी कीमत पर बुधवार को ही खत्म होगी। इसके बाद हिंदू महासभा की तरफ से एक 1810 का एक नक्शा पेश किया गया जिसे मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने फाड़ दिया था। धवन ने कहा था कि यह बकवास है,हालांकि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए कहा कि आप का व्यवहार अमर्यादित है। 

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