- बाबुल सुप्रियो ने सक्रिय राजनीति से लिया संन्यास, सांसद पद से भी इस्तीफा
- फेसबुक पोस्ट के जरिए बताई वजह, बोले- एक महीने के अंदर सरकारी आवास छोड़ दूंगा
- बाबुल सुप्रियो बोले- समाज सेवा के लिए राजनीति में रहना जरूरी नहीं
बाबुल सुप्रियो ने अब राजनीति से संन्यास ले लिया है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपने संन्यास का ऐलान किया और बताया कि समाज सेवा के लिए राजनीति का हिस्सा बनना जरूरी नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वो किसी भी पार्टी में शामिल होने नहीं जा रहे हैं। हाल ही में जब उन्हें मोदी कैबिनेट विस्तार से पहले मंत्रिमंडल से हटाया गया को कयास लगने लगे कि वो टीएमसी का हिस्सा हो सकते हैं। टीएमसी के संबंध में बाबुल सुप्रियो ने जो टिप्पणी की थी उस पर एक घंटे में हजारों रिएक्शन आए जिसके बाद उस हिस्से को हटा दिया गया है।
बाबुल सुप्रियो ने राजनीति को कहा अलविदा
फेसबुक पोस्ट लिखकर सुप्रियो ने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया। उन्होंने लिखा कि मैं तो जा रहा हूंअलविदा। इसके साथ ही कहा कि वह एक महीने के भीतर अपना सरकारी आवास छोड़ देंगे। वह संसद सदस्य पद से भी इस्तीफा दे रहे हैं। उनकी इस घोषणा के बाद उनके प्रशंसकों में तरह तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
किसी पार्टी में नहीं जा रहा
बाबुल सुप्रियो लिखते हैं कि वो किसी और पार्टी में नहीं जा रहे हैं। टीएमसी, कांग्रेस या सीपीआईएम में भी नहीं। उन्हें किसी पार्टी ने उन्हें फोन किया है और वो कहीं जा भी नहीं रहे। वो सिर्फ एक टीम का खिलाड़ी हूं और एक टीम का समर्थन किया है। उनके लिए सिर्फ एक बीजेपी वेस्ट बंगाल है। उन्होंने अमित शाह और जेपी नड्डा के सामने राजनीति छोड़ने की बात की है। मैं उनका आभारी हूं कि उन्होंने मुझे कई मायनों में साहस दिया।
संन्यास की वजह मंत्रिपद नहीं
मुझे एक सवाल का जवाब देना होगा, अगर मेरा फैसला वैसे भी मेरे मंत्रालय को खोने से जुड़ा है। सवाल उठेगा कि मैं राजनीति क्यों छोड़ रहा हूं। मैं कहता हूं, हां कुछ कनेक्शन है। सच्चाई मुझे भी शांति देगी।2014 और 2019 में अंतर है। तब मैं अकेला भाजपा सांसद था। मैं एस एस अहलूवालिया जी से माफी मांगता हूं। वह जीजेएम के साथ गठबंधन में थे। लेकिन आज भाजपा बंगाल में मुख्य विपक्षी दल है। पार्टी में कई होनहार युवा हैं, अपने अनुभव के साथ पुराने पहरेदार भी हैं। यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि एक व्यक्ति के रहने या जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता। यह अब बहुत स्पष्ट हो गया है और इसे स्वीकार करना बुद्धिमानी है।
बंगाल में कुछ नेताओं से थे मतभेद
एक बात और, प्रदेश के कुछ नेताओं से मतभेद थे। ऐसा हो सकता है लेकिन दुख की बात है कि वे पब्लिक डोमेन में आ रहे थे। जिसके लिए कम से कम एक मौके पर मैं जिम्मेदार हूं और ज्यादातर मौकों पर जो जिम्मेदार हैं, मैं आज वहां नहीं जाना चाहता। वरिष्ठ नेताओं के बीच दरार से ग्राउंड जीरो पर पार्टी का मनोबल प्रभावित हो रहा था। यह समझने के लिए कि आपको रॉकेट साइंस जानने की जरूरत नहीं है। इस प्रकार मैं आसनसोल के लोगों को अपना प्यार और कृतज्ञता अर्पित करते हुए एक तरफ कदम बढ़ाता हूं।
मैं हमेशा मेरे साथ रहा हूं और इस तरह यह नहीं कहूंगा कि मैं अपने आप में लौट रहा हूं। मैं जल्द ही अपना आधिकारिक आवास छोड़ दूंगा। कई नए मंत्रियों को अभी तक स्टे नहीं मिला है। इसलिए मैं एक महीने के भीतर अपना घर छोड़ दूंगा।हां, मैं स्पष्ट रूप से एमपी पद से इस्तीफा दे रहा हूं।1992 में मैंने भी ऐसा ही किया था जब मैंने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक की नौकरी छोड़ दी और मुंबई चला गया। आज मैं वही कर रहा हूं। मैं जा रहा हूँ। हां कुछ बातें अधूरी रह जाती हैं। हो सकता है कभी उनके बारे में बात करें, आज रहने दें...
बिना राजनीति भी किया जा सकता है समाज सेवा
वो लिखते हैं कि उन्होंने सबकी बात सुनी, माता-पिता, पत्नी, बेटी, सबकी। सामाजिक कार्य करना है तो बिना राजनीति के भी कर सकते हैं - चलो थोड़ा पहले खुद को संगठित करते हैं फिर। लेकिन मुझे एक सवाल का जवाब देना होगा क्योंकि यह सही है! सवाल उठेगा कि मैंने राजनीति क्यों छोड़ी? मंत्रालय के जाने से इनका कोई लेना देना है क्या? हां वहां है - कुछ लोगों के पास होना चाहिए! चिंता नहीं करना चाहते हैं तो अगर वह सवाल का जवाब देगी तो सही होगा-इससे मुझे भी शांति मिलेगी।
आसनसोल से बीजेपी सांसद हैं बाबुल सुप्रियो
आसनसोल से बीजेपी सांसद राजनीति में आने से पहले बेहद प्रसिद्ध प्लेबैक सिंगर थे। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में उन्हें पार्टी ने टॉलीगंज सीट से मैदान में उतारा था पर वह जीत हासिल करने में नहीं सफल रहे। इसके कुछ दिन बाद ही उनसे केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा मांग लिया गया उसके बाद से पार्टी नेतृत्व से नाराज बताए जा रहे थे।