नई दिल्ली : 14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हुए हमले के बाद पूरा देश हिल गया था। इस घटना के बाद हर देशवासी के दिल में पाकिस्तानी आतंकवादियों से बदला लेने की आग उबलने लगी थी। इस हमल के महज 15 दिनों के भीतर ही भारतीय वायु सेना ने पीओके में घुसकर जैश के आतंकियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद कर पाकिस्तान को उसी की भाषा में उसका जवाब दे दिया था। आज एक बार फिर देश इन जवानों की बहादुरी को याद कर रहा है।
जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी, 2019 को सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले ने जहां पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था, वहीं आतंकियों की इस कायराना करतूत में 40 जवानों की शहादत से लोगों में शोक की लहर दौड़ गई थी। लेकिन भारत पहले ही तय कर चुका था कि इस वारदात को अंजाम देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। इसी के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था, जिसने इस जघन्य वारदात की जिम्मेदारी ली थी।
वायुसेना ने 1971 के बाद पहली बार पार की अंतरराष्ट्रीय सीमा
वायुसेना की यह कार्रवाई कई मायनों में खास थी। आईएएफ की इस कार्रवाई को 'एहतियातन' करार दिया गया तो 1971 के युद्ध के बाद यह पहली बार था जब भारतीय वायुसेना के अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार कर यह कार्रवाई की। इससे पहले 1999 कारगिल संघर्ष के समय भी ऐसा नहीं हुआ था। 2016 के उड़ी हमले के बाद भी जब सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी तब भी भारतीय बलों की ओर से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार नहीं की गई थी। भारतीय वायुसेना की इस कार्रवाई के बाद भारत-पाकिस्तान में तनाव चरम पर पहुंच गया था और युद्ध की आशंका तक जाहिर की जाने लगी।
ऑपरेशन बंदर था कोड नेम
वायुसेना ने इस कार्रवाई में पूरी गोपनीयता बरती थी। किसी को कानोंकान भनक नहीं लगी थी, बल्कि खुद पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता की ओर से पहले इसकी जानकारी सामने आई कि भारतीय विमानों ने उसकी सीमा में प्रवेश किया। तब तक वायुसेना के विमान अपनी कार्रवाई को अंजाम देने के बाद सुरक्षित अपनी सीमा में लौट चुके थे। इस अभियान को लेकर बरती गई गोपनीयता के कारण ही इसे खास नाम 'ऑपरेशन बंदर' दिया गया था, जिसके तहत 12 मिराज 2000 विमानों ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत स्थित बालाकोट में आतंकियों के ठिकानों को नष्ट कर दिया।
रामायण से प्रेरित था नाम!
बालाकोट में एयरस्ट्राइक को 'ऑपरेशन बंदर' नाम गोपनीयता बरतने के उद्देश्य से दिया गया था। रक्षा अधिकारियों ने इस बारे में हालांकि कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी गई, लेकिन तब रक्षा सूत्रों ने इस बारे में कहा था कि भारतीय युद्ध संस्कृति में बंदरों की खास भूमिका रही है। इसका जिक्र रामायण में भी मिलता है, जब हनुमान ने चुपचाप लंका में प्रवेश कर उसे नष्ट कर उसे नष्ट कर दिया था। राम और रावण के बीच की उस लड़ाई में हनुमान को आधुनिक दौर में राम के लेफ्टिनेंट के तौर पर देखा जा सकता है।
ऐसे दिया था कार्रवाई को अंजाम
भारतीय वायुसेना के विमानों ने 26 फरवरी, 2019 को तड़के करीब 3:30 बजे बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने को निशाना बनाकर 5 स्पाइस 2000 बम गिराए थे। इस कार्रवाई के कुछ ही मिनटों के बाद भारतीय विमान अपनी सीमा में लौट गए थे। इस दौरान वायुसेना ने किसी भी आपात स्थिति में जरूरत पड़ने पर गरुड़ कमांडो की एक टीम को विकल्प के तौर पर तैयार रखा था। मिराज विमानों ने एयरफोर्स के कई ठिकानों से उड़ान भरी थी, जिस वजह से पाकिस्तान को इसकी थाह भी नहीं लग पाई। बाद में वायुसेना की ओर से बताया गया कि 80 प्रतिशत बम सफलतापूर्वक लक्षित निशानों पर गिरे।