- राज्य सभा से भी नागरिकता संशोधन बिल पारित,अब राष्ट्रपति को भेजा जाएगा बिल
- विरोध के बीच शिवसेना ने बहिष्कार का रास्ता चुना और सरकार का दिया साथ
- नागरिकता संशोधन बिल पर देश में कहीं खुशी तो कहीं विरोध
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल चुकी है। इस तरह के कयास लगाए जा रहे थे कि मोदी सरकार को राज्यसभा में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन बिल के समर्थन में 124 सांसद साथ थे। इस बिल के पारित होने के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संविधान के लिए काला दिन बताया तो कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में यह बिल नहीं ठहर पाएगा।
इस विषय पर बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ ए के अब्दुल मोमेन बयान भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत के सामने आंतरिक स्तर पर अलग अलग तरह की परेशानिया हैं। वहां की सरकार को आप उन दिक्कतों से निपटने दीजिए। जहां तक बांग्लादेश की बात है उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। दोनों मित्र राष्ट्र हैं, हमें उम्मीद है कि भारत ऐसा कुछ नहीं करेगा जिसकी वजह से दोनों देशों पर असर पड़ेगा।
राज्यसभा से बिल पारित होने के बाद देश के अलग अलग हिस्सों में शरणार्थियों में खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन इसके साथ ही देश के कुछ हिस्सों में विरोध भी हो रहा है। गृह मंत्री ने अमित शाह ने कहा कि कि कैब के जरिए किसी की नागरिकता छिनी जाएगी, पूरी तरह गलत है। दरअसल इसके जरिए तो नागरिकता प्रदान की जा रही है। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में कहा कि दरअसल कांग्रेस को ऐतराज है कि उसमें मुस्लिम शब्द क्यों नहीं जोड़ा गया। कांग्रेस को याद रखना चाहिए कि इस बिल का एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। अगर 1950 के नेहरू-लियाकत पैक्ट को अमल में लाया गया होता तो इसकी जरूरत ही नहीं पड़ती।