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Bengal Chunav : बंगाल में इस बार चुनावी मुद्दा क्यों बन गया है पेयजल, टीएमसी-BJP दोनों ने दिया है जोर

Updated Mar 24, 2021 | 10:27 IST

West Bengal Assembly Elections 2021 : बंगाल इस समय स्वच्छ पेयजल की किल्लत का सामना कर रहा है। राज्य के ज्यादातर घरों में सप्लाई का पानी नहीं पहुंचता है। लोग प्रदूषित पानी का इस्तेमाल करते हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
बंगाल चुनाव में पेयजल पर टीएमसी-BJP दोनों ने दिया है जोर।
मुख्य बातें
  • बंगाल चुनाव में इस बार भाजपा और टीएमसी ने स्वच्छ पेयजल का वादा किया है
  • राज्य के ज्यादातर ग्रामीण घरों में आज भी सप्लाई का पानी नहीं पहुंचता है
  • अभी जो पानी पहुंचता है उसमें आर्सेनिक की मात्रा तय मानक से कहीं ज्यादा है

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के चुनाव में इस बार मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और तृणमूल कांग्रेस के बीच है। दोनों पार्टियां मतदाताओं को अपनी तरफ रिझाने के लिए लोकलुभावन घोषणापत्र तैयार किया है। दोनों दलों के घोषणापत्र में महिलाओं, छात्रों, किसानों सहित सभी वर्ग को साधने की कोशिश की गई है। इन सबके बीच एक खास चीज जो सामने आई है वह दोनों राजनीतिक दलों द्वारा स्वच्छ पेयजल पर जोर देना। टीएमसी और भाजपा दोनों ने अपने घोषणापत्र में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का वादा किया है। बंगाल में पेयजल इस बार चुनावी मुद्दा बन गया है। आइए जानते हैं कि बंगाल में पीने लायक पानी की स्थिति कैसी है। 

पेयजल की समस्या से जूझ रहा बंगाल
बंगाल इस समय स्वच्छ पेयजल की किल्लत का सामना कर रहा है। राज्य के ज्यादातर घरों में सप्लाई का पानी नहीं पहुंचता है। ज्यादातर इलाकों में लोगों तक पीने के लिए जो पानी पहुंचता है उसमें आर्सेनिक एवं सलाइन की मात्रा की अधिकता होती है। रिपोर्टों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में सप्लाई से पानी पहुंचाने के मामले में बंगाल, असम और लद्दाख के बाद नीचे से तीसरे स्थान पर है। राज्य के 100 ग्रामीण घरों में से 90 से ज्यादा आवासों में सप्लाई का पानी नहीं पहुंचता है। ग्रामीण भारत में सप्लाई से पानी पहुंचाने की राष्ट्रीय दर 37.98 प्रतिशत है जबकि बंगाल में यह दर 8.63 है। 

पेयजल में आर्सेनिक की मात्रा अधिक
यही नहीं, राज्य के झारग्राम, पुरुलिया, मुर्शिदाबाद, कूच बिहार और कलिमपोंग के करीब पांच प्रतिशत घरों में ही सप्लाई का पानी पहुंचता है। स्कूलों में स्वच्छ पेयजल का रिकॉर्ड भी ठीक नहीं है। राज्य के 11.15 फीसदी स्कूलों में ही सप्लाई का पानी पहुंचता है। नेशनल सेंटर फॉर बॉयोटेकनॉलजी इंफॉर्मेशन की 2018 में आई एक रिपोर्ट में कहा गया कि बंगाल के 19 में से 14 जिलों के जल आर्सेनिक की मात्रा डब्ल्यूएचओ के निर्धारित मानक से ज्यादा है। पानी में आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा होने से लोगों को त्वचा, हृदय एवं श्वास एवं गैस से जुड़ी हुई अनेक दिक्कतें होती हैं।  

जंगलमहल इलाके में है जलसंकट 
हाल के वर्षों में पश्चिम बंगाल के लोगों में पेयजल को लेकर जागरूकता आई है। इसे राजनीतिक दलों ने समझा है। इसलिए अब वे स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं। पुरुलिया में अपनी चुनावी रैली का आगाज करते हुए पीएम मोदी ने जंगलमहल के पानी के संकट का मुद्दा उठाया। उन्होंने ममता सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस सरकार ने यहां के लोगों को जलसंकट दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य में भाजपा की सरकार बनने पर जलसंकट की समस्या को दूर किया जाएगा। 

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