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बिहार:ये इलाके जहरीली शराब के सॉफ्ट टारगेट ! जानें कैसे चलता है अवैध कारोबार

Updated Nov 08, 2021 | 19:23 IST

Bihar Hooch Tragedy: बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतों से साफ है कि ड्राई स्टेट होने के बावजूद शराब लोगों की मिल रही है। और यूपी, नेपाल, झारखंड से सटे जिले अवैध कारोबार करने वालों के सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं।

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बिहार में जहरीली शराब पीने से बढ़ा मौत का आंकड़ा
मुख्य बातें
  • नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार बिहार में प्रतिबंध होने के बावजूद 14-15 फीसदी आबादी शराब पीती है।
  • गोपालगंज के कई ऐसे इलाके हैं, जहां पर पड़ोसी राज्य से अवैध शराब पहुंचाई जाती है। और बाइक-स्कूटी-बलेरो से सप्लाई की जाती है।
  • स्थानीय निवासियों के अनुसार देसी शराब बनाने और छुपाने के लिए गन्ने और धान के खेत का इस्तेमाल किया जा रहा है।

Bihar Hooch Tragedy: साल 2021, नीतीश सरकार के सबसे लोकप्रिय कदमों में से एक शराबबंदी की पोल खोलने वाला रहा है। सरकार के दावों के अनुसार ही इस साल 40 मौतें जहरीली शराब पीने से हुई है। साल 2016 से लागू शराबबंदी के दौर में यह किसी साल हुई मौतों का सबसे ज्यादा आंकड़ा है।  हालांकि स्थानीय लोगों और विपक्ष का कहना है कि हकीकत इससे ज्यादा भयावह है। जहरीली शराब पीकर मरने वालों की संख्या 4 नवंबर से 6 नवंबर के बीच 32 तक पहुंच गई । इसमें से सबसे ज्यादा 15 लोग बेतिया में , 13 लोग गोपालगंज और 4 लोग समस्तीपुर में अपनी जान गंवा चुके हैं। न्यूज एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 दिनों में गोपाल गंज, समस्तीपुर, बेतिया और मुजफ्फरपुर में  50 से ज्यादा लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हुई है। और तीन दर्जन से ज्यादा लोगों की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है। इसके पहले गोपलागंज का 2016 का खजूरबानी कांड भी काफी चर्चा में रहा था। वहां पर जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी। 

बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया 'शराबबंदी पर बड़बड़ करने वालों के राज में विगत 3 दिनों में ही जहरीली शराब से 50 से अधिक मौतें हो चुकी है। मुख्यमंत्री स्वयं, प्रशासन, माफिया और तस्कर पुलिस पर कारवाई की बजाय पीने वालों को कड़ा सबक सिखाने की धमकी देते रहते है।'

शराबबंदी की पोल खोलता नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे 

बिहार में शराबबंदी कितनी प्रभावी है, उसकी  साल 2020 में नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वें-5 की आई रिपोर्ट पोल खोलती है। सर्वे के अनुसार बिहार में शराबबंदी के बाद भी बड़े पैमाने पर लोग शराब पी रहे हैं। सर्वे के अनुसार 15 साल के उम्र और उससे ज्यादा के 15 फीसदी लोग शराब पी रहे हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्र  में 14 फीसदी तो शहर में 15 फीसदी लोग शराब पी रहे हैं। साफ है कि ड्राई स्टेट होने के बावजूद शराब की अवैध बिक्री पर लगाम नहीं लग पा रही है।

सरकार का दावा  3 लाख गिरफ्तारियां

इस बीच बिहार में मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया है, कि सरकार की सख्ती का नतीजा है कि राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद से पिछले 5 साल में 187 लाख लीटर से अधिक शराब जब्त की गई है। इस दौरान 3 लाख गिरफ्तारियां हुईं है। करीब 60 हजार वाहन जब्त किए गए हैं। जबकि 700 से ज्यादा कर्मियों की बर्खास्तगी की गई है। उनके अनुसार किसी भी राज्य में यह अभी तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।

फिर कैसे चल रहा है अवैध शराब का नेटवर्क

इस मामले में टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल ने जहरीली शराब का सबसे ज्यादा शिकार होने वाले जिलों में से एक गोपालगंज में स्थानीय निवासियों से बात की, तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आई। एक स्थानीय निवासी के अनुसार गोपालगंज में जो ताजा मामला सामने आया वह मोहम्मदपुर थाने के तहत है। जो कि जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर है। वहां पर खेतों में जमीन के अंदर छुपाकर अवैध शराब का धंधा चलाया जा रहा था। इसके तहत लोगों ने गन्ने और धान के खेत में छुपाकर देसी शराब का उत्पादन किया। एक बात और साफ है कि मिली भगत के बिना कुछ नहीं हो सकता है।

एक स्थानीय वकील के अनुसार घटना होने के बाद सख्ती बढ़ गई है। और जिन लोगों के खेतों में देसी या कच्ची शराब की भट्टियां आदि मिल रही हैं। उसे जब्त किया जा रहा है। और उनकी जमीन भी नीलाम करने की तैयारी है। लेकिन यह सब गोरखधंधा कैसे चल रहा है। इस पर वह कहते हैं देखिए इलाके में पूरा एक नेटवर्क तैयार हो गया है। इसकी वजह से देसी ही नहीं ब्रांडेड शराब भी आसानी से मिल जाती है। लोग स्कूटी, बाइक, ट्रक, बस, जीप, कार आदि के जरिए सप्लाई करते हैं। इसके लिए यूपी बार्डर सबसे आसान जरिया बन गया है। बार्डर और नेशनल हाईवे पर पड़ने वाला कुचायकोट थाना इसके अलावा गोपालपुर, कटया और विजयीपुर थाने से भारी मात्रा में शराब अवैध तरीके से पहुंचाई जाती है। और इसके लिए 2-3 गुना पैसे लिए जाते हैं। उनके अनुसार ऐसा नहीं है कि कार्रवाई नहीं होती है। लोग जेल जाते हैं, आजीवन कारावास की सजा यहां तक कि फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। 

यूपी की तरह बिहार में झारखंड, नेपाल से शराब की बड़ी खेप तस्करी कर लाई जा रही है। 

खजूरबानी कांड में फांसी की सजा

गोपाल गंज के खजूरबानी इलाके में अगस्त 2016 में जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो गई थी और 5 लोगों की रोशनी चली गई थी। इस कांड में स्थानीट कोर्ट ने 9 नौ दोषियों को फांसी और चार महिलाओं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा  2017 में मुंगेर के मुसहरी टोला में 8 लोगों की मौत हुई थी। इसी तरह मुजफ्फरपुर में फरवरी 2021 में 5 लोगों की मौत का मामला सामने आया था।  साफ है कि सख्त सजा मिलने के बाद भी बिहार में अवैध शराब का धंधा फल-फूल रहा है। ऐसे में नीतीश सरकार को इस मामले में नए सिरे से सोचना होगा। जिससे कि वास्तव में शराबबंदी लागू हो सके, नहीं तो निर्दोष और गरीब लोग शिकार बनते रहेंगे।

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