नई दिल्ली : कोरोना वायरस का संक्रमण अभी समाप्त भी नहीं हुआ है कि देश में बर्ड फ्लू के कारण एक और संकट नजर आने लगा है। राजस्थान, केरल, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत अचानक हुई, जिसके बाद स्वास्थ्य एजेंसियां तुरंत हरकत में आ गईं। बड़ी संख्या में पक्षियों को मारने का सिलसिला शुरू हुआ, जिसके बाद लोगों में इस बीमारी को लेकर एक तरह का डर देखा जा रहा है।
केंद्र सरकार ने हालांकि साफ किया है कि भारत में इंसानों के बीच बर्ड फ्लू का संक्रमण फैलने की संभावना नहीं है और इसलिए लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन एवियन इनफ्लुएंजा इन मामलों ने कई तरह की आशंकाओं को जन्म दिया है। यूं तो बर्ड फ्लू के संक्रमण का खतरा इंसानों में पक्षियों जितना नहीं होता, लेकिन इंसानों में इसका संक्रमण नहीं होता, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता। ऐसे में उन लोगों को खास तौर पर सावधानी बरतने की जरूरत है, तो चिकन या अंडे आदि खाते हैं, क्योंकि इसके जरिये वे संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं।
बर्ड फ्लू से इंसानों को कितना खतरा?
इंसानों में बर्ड फ्लू के संक्रमण का खतरा आम तौर पर तभी होता है, जब वह किसी संक्रमित पक्षी से करीबी संपर्क में आते हैं या फिर चिकन या अंडे ठीक से पका कर नहीं खाते। इस संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के निर्देशों को ध्यान रखना उचित होगा, जिसमें कहा गया है कि चिकन, मीट, अंडे को अच्छी तरह पका कर खाना चाहिए और चिकन या अंडे को कम से कम 70 डिग्री सेल्सियस तापमान में पकाया जाना चाहिए। ऐसा करने से H5N1 वायरस का खतरा नहीं रहता।
भारत में यह बर्ड फ्लू का चौथा इस तरह का बड़ा मामला है। इससे पहले 2006, 2012, 2015 में भी यहां बर्ड फ्लू के मामले सामने आ चुके हैं। जहां तक बर्ड फ्लू से इंसानों में होने वाले संक्रमण और उससे होने वाली मौतों का सवाल है तो भारत इस मामले में भाग्यशाली रहा है।
नेशनल हेल्थ प्रोग्राम की साइट के अनुसार, यहां अब तक बर्ड फ्लू से किसी इंसान की जान नहीं गई है, जबकि दुनियाभर के 16 देशों में 846 लोग इस बीमारी से संक्रमित हुए हैं, जिनमें 449 लोगों की जान भी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, 1997 से पहले तक इस घातक बीमारी से इंसानों के संक्रमित होने की सूचना नहीं थी।