Yogi Adityanath Birthday: 2004 के लोकसभा चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी महाराजगंज में एक चुनावी रैली में क्षेत्र व आसपास के निर्वाचन क्षेत्रों के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार के लिए आए। वह गोरखपुर में उतरे, लेकिन गोरखनाथ मंदिर नहीं गए, जो कि आम चलन नहीं था। 2002 के चुनाव में योगी के आधिकारिक उम्मीदवार के विरोध की यादें चूंकि अभी भी ताजा थीं, उनके और नेतृत्व में रिश्ते अब भी ठंडे थे। लेकिन वह रैली में थे और मंच पर पिछली पंक्ति में बैठे थे।
जब योगी बोलने आए तो भीड़ उत्साहित हो गई। चतुर राजनीतिज्ञ वाजपेयी ने भीड़ का मूड तुरंत पढ़ लिया। जब उनके बोलने का अवसर आया तो वह पीछे मुड़े और योगी को बुलाया। अब दोनों भीड़ के सामने साथ खड़े थे। अपना भाषण शुरू करने से पहले, वाजपेयी ने योगी का हाथ पकड़कर हवा में लहराया और भीड़ से अपील की-एक बार मेरे साथ बोलिए, पूर्वांचल में रहना है तो योगी, योगी कहना है। यह वास्तव में हियुवा के नारे-गोरखपुर में रहना है तो योगी, योगी कहना है-को दोहराने जैसा था।
रैली के बाद, वाजपेयी अब विशेष विमान में बैठने वाले थे, कि, अचानक उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा कि गोरखनाथ मंदिर जाना चाहते हैं। भारतीय वायु सेना की हवाई पट्टी से मंदिर तक जाने का आनन-फानन में प्रबंध किया गया। वाजपेयी न सिर्फ मंदिर गए बल्कि योगी और उनके गुरु के साथ कुछ समय भी गुजारा। जब नतीजे आए, योगी की जीत का अंतर बढ़कर 1.42 लाख हो गया।
लेकिन भाजपा को केंद्र में हार का बड़ा झटका लगा और अटल बिहार वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने कांग्रेस नीत संप्रग गठबंधन सरकार को दो कार्यकाल के लिए रास्ता साफ कर दिया। यूपी में भाजपा पहले से ही सत्ता से बाहर थी और यह राजनीतिक निर्वासन 15 साल तक बना रहा। यह कहने की जरूरत नहीं है कि योगी के लिए लड़ाई और कठिन हो चली थी। उन्हें अलग-अलग मोर्चों -दिल्ली और लखनऊ में-विरोधी पार्टियों से लड़ना था और स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं से अलग।
जब नदी का रिसाव रोकने पहुंचे
एक बार वह दिल्ली यात्रा से वापस गोरखपुर हवाई अड्डे पर पहुंचे ही थे कि उन्हें पता चला कि राप्ती नदी पर बांध में रिसाव शुरू हो गया है। उस समय शाम के साढ़े चार बजे थे। वह मंदिर जाने के बजाय सीधे रिसाव की जगह पर पहुंच गए। वहां पहुंचकर जब उन्होंने देखा कि अब तक अधिकारी वहां पहुंचे ही नहीं थे और मजदूर उनके निर्देश के इंतजार में खड़े थे, उन्होंने सीमेंट की बोरी खुद उठाकर अपने कंधे पर रखा और रिसाव रोकने पर काम शुरू कर दिया। कुछ ही मिनट में, जिले के उच्चाधिकारी वहां पहुंच गए और मरम्मत का काम शुरू हो गया।। योगी वहां लगभग पूरी रात तब तक खड़े रहे जब तक काम पूरा नहीं हो गया। इसके चलते वहां से कोई नहीं हिला और बंधे की मरम्मत का कार्य युद्धस्तर पर पूरा किया गया।
(वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शंकर मिश्र की अनुवादित पुस्तक 'योद्धा योगी' के अंश। यह पुस्तक वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण कुमार की लिखी ' योगी आदित्यनाथ : द राइज ऑफ सैफरन सोशलिस्ट' का हिंदी अनुवाद है।)