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West Bengal: ममता के किले को ध्वस्त करने के लिए BJP का अभेद्य प्लान, 10 हजार सामाजिक संगठनों पर फोकस

Updated Dec 20, 2020 | 12:00 IST

पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। बीजेपी लगातार ममता को घेरने के लिए हर रणनीति पर काम कर रही है।

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बंगाल:ममता के किले को ध्वस्त करने के लिए BJP का अभेद्य प्लान
मुख्य बातें
  • बंगाल में 10 हजार सामाजिक संगठनों के जरिए ममता को घेरने में जुटी बीजेपी
  • अगले साल के मध्य में होने हैं पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव
  • बीजेपी ने ममता के किले में लगा दी है बड़ी सेंध, अभी तक कई दिग्गज नेता हो चुके हैं BJP में शामिल

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का किला ध्वस्त करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने उन दस हजार छोटे-बड़े सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं पर फोकस किया है, जिनका हिंदू मतदाताओं में काफी असर है। भाजपा ने कई ग्रुप गठित कर इन सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों से जनसंपर्क अभियान शुरू किया है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल दौरे के दौरान महापुरुषों की जन्मस्थली पर जाने के साथ बुद्धिजीवियों और समाज के अन्य वर्गों के साथ गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की भेंटवार्ता हर वर्ग को पार्टी से जोड़ने की रणनीति का हिस्सा हैं।

राज्य में हैं तमाम पंथ

 पश्चिम बंगाल में हिंदुओं में भी तमाम पंथ और वर्ग हैं, जो रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, हिंदू मिलन समाज, इस्कॉन आदि संगठनों के अनुसार अपना रुख तय करते हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को रामकृष्ण मिशन जाकर पश्चिम बंगाल का दो दिवसीय दौरा शुरू किया। उन्होंने रामकृष्ण मिशन जाकर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा पर फूल चढ़ाए। बंगाल में स्वामी विवेकानंद की बेहद स्वीकार्यता है। जनता उन्हें अपना आदर्श मानती है। भाजपा के एक नेता ने आईएएनएस से कहा, पश्चिम बंगाल में रामकृष्ण मिशन के करीब 50 लाख अनुयायी हैं। स्वामी विवेकानंद ने दुनिया में भारत का मान बढ़ाया, लेकिन मौजूदा तृणमूल कांग्रेस सरकार ने न स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और न ही रामकृष्ण मिशन के कार्य को आगे बढ़ाने की दिशा में कोई पहल की। अब भाजपा पश्चिम बंगाल के सभी महापुरुषों की विरासत को आगे बढ़ाएगी।

पीके के कंधों पर टीएमसी की जिम्मेदारी

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की चुनावी रणनीति का दारोमदार प्रशांत किशोर (पीके) के कंधे पर है। जबकि भाजपा कई थिंकटैक के माध्यम से ममता बनर्जी की हर रणनीति का काउंटर करने में जुटी है। ऐसा ही एक थिंक टैंक है- श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन। दिल्ली के अशोका रोड से संचालित यह थिंकटैंक भी पश्चिम बंगाल में भाजपा की रणनीति तय करने में अहम भूमिका निभा रहा है। गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के दौरान फाउंडेशन के डायरेक्टर अनिर्बान गांगुली भी मौजूद रहे।

बीजेपी का थिंक टैंक तैयार कर रहा है रणनीति

भाजपा का थिंक टैंक पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के अनुरूप रणनीति बनाने में जुटा है। शुरूआत में भाजपा ने कार्यक्रमों में जय श्रीराम के नारे लगाने शुरू किए तो ममता बनर्जी ने इसे उत्तर भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बंगाल की जनता पर थोपने की बात कही थी। जिस पर भाजपा के थिंक टैंक ने तुरंत अपनी लाइन बदलते हुए बंगाल के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर जोर देना शुरू कर दिया। पश्चिम बंगाल में मां काली के अनुयायियों की भारी संख्या देख भाजपा के सभी वरिष्ठ नेता हर दौरे के दौरान दक्षिणेश्वर काली मंदिर का दौरा करते हैं। इस प्रकार श्रीराम की जगह अब मां काली पर भाजपा ने फोकस किया है।

अनुपम हाजरा कर रहे हैं ये कार्य

भाजपा ने हर जिले में धार्मिक और सामाजिक संगठनों से जनसंपर्क के लिए कुछ कमेटियां बनाई हैं। ये कमेटियां पूर्व सांसद और भाजपा के नेशनल सेक्रेटरी अनुपम हाजरा के निर्देशन में कार्य कर रहीं हैं। अनुपम हाजरा बोलपुर से तृणमूल कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निकाले जाने पर उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया था। हालांकि भाजपा के टिकट पर वह जादवपुर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे।

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