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MP Nikay Result 2022: फैसला पलटना बीजेपी को पड़ा भारी नहीं तो होते 15 मेयर, जानें- कैसे

Updated Jul 21, 2022 | 08:58 IST

यह कोई जरूरी नहीं कि हर फैसला सियासी तौर पर फायदेमंद हो। मध्य प्रदेश के संदर्भ में यह बात सटीक बैठती है। अगर कमलनाथ सरकार के फैसले को शिवराज सिंह चौहान ने ना बदला होता तो बीजेपी के 15 मेयर होते।

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शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार का फैसला बदल दिया था।
मुख्य बातें
  • बीजेपी के खाते में मेयर की 9 सीट
  • इससे पहले वाले चुनाव में सभी 16 सीटों पर था कब्जा
  • कांग्रेस के खाते में 5, आप के खाते में 1 और 1 सीट पर निर्दलीय का कब्जा

मध्य प्रदेश निकाय चुनावों की व्याख्या राजनीतिक दल अपने अपने तरीके से कर रहे हैं। बीजेपी इसे अपनी कामयाबी (मेयर की 9 सीटें, पहले सभी सीटें कब्जे में थीं) बता रही है तो कांग्रेस (शून्य से बढ़कर पांच सीटें ) का कहना है कि बच्चा किसी के घर पैदा हो बीजेपी की आदम मिठाई बांटने की है। इसके साथ ही इस चुनाव में आप की मौजूदगी भी कमाल है। इन सबके बीच सवाल है कि क्या शिवराज सिंह चौहान को कमलनाथ सरकार का फैसला पलटना भारी पड़ गया। इस सवाल का जवाब हां में है। अगर मेयर का चुनाव सीधे जनता की जगह बीजेपी ने पार्षदों के जरिए कराई होती तो 15 नगर निगमों पर कब्जा होता। 

16 नगर निगमों पर था कब्जा
इससे पहले 16 नगर निगमों पर बीजेपी का कब्जा था। उस समय मेयर चुनाव सभासदों के जरिए किया गया था, जनता की सीधी भूमिका नहीं थी।इस दफा निकाय चुनाव में जनता ने सीधे मत दिया और नतीजों से साफ है कि बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। बीजेपी को 9 सीटें, कांग्रेस को 5, आम आदमी पार्टी के खाते में एक सीट और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई। इसका अर्थ यह है कि बीजेपी को सात सीटों पर नुकसान हुआ है जबकि कांग्रेस जीरो से पांच सीट पर पहुंच गई। 

  • भोपाल नगर निगम में 85 पार्षद
  • बीजेपी- 58, कांग्रेस-22, अन्य-5
  • इंदौर नगर निगम- 85 पार्षद
  • बीजेपी- 64, कांग्रेस-19, अन्य-2
  • ग्वालियर नगर निगम- 66 पार्षद
  • बीजेपी- 34, कांग्रेस-25, अन्य- 7
  • रीवा नगर निगम- 45 पार्षद
  • बीजेपी-18, कांग्रेस-16, अन्य-13
  • कटनी नगर निगम- 45 पार्षद
  • बीजेपी-27, कांग्रेस-15, अन्य-3
  • सिंगरौली- 45 पार्षद
  • बीजेपी-23, कांग्रेस-12, अन्य 10

बीजेपी को बड़े शहरों में झटका
क्या शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक गलती कर दी। इस सवाल का जवाब नतीजों में छिपा है। अगर सभासदों के जरिए मेयर का चुनाव हुआ होता तो बीजेपी के 15 मेयर होते यानी कि सिर्फ एक सीट का नुकसान होता। दरअसल, शिवराज सिंह सरकार ने कमलनाथ सरकार के फैसले को पलट और उसका खामियाजा नजर भी आ रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि शहरों में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है, बीजेपी के हाथ से रीवा, कटनी मुरैना नगर निगम निकल गए। अगर बात रीवा की करें तो पिछले 25 वर्ष से बीजेपी का कब्जा था। पार्टी को छिंदवाड़ा, सिंगरौली, जबलपुर और ग्वालियर में हार मिल ही चुकी थी। 

कमलनाथ सरकार का क्या था फैसला
कमलनाथ जब कांग्रेस सरकार की अगुवाई कर रहे थे तो उन्होंने महापौर यानी मेयर, नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों के चुनाव को पार्षदों के जरिए कराने के लिए अध्यादेश लाये थे। लेकिन बीजेपी मे पुरजोर विरोध किया था। लोकतंत्र की हत्या तक करार दिया। 2020 में सरकार में आते ही शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ के फैसले को पलट दिया।

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