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भाजपा जाट नेताओं पर लगा रही है दांव, इन 3 राज्यों में करेंगे कमाल !

Updated Aug 26, 2022 | 19:52 IST

BJP Jat Leaders: 2024 के लोक सभा चुनाव और राजस्थान- हरियाणा विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय निर्णायक भूमिका निभाएगा। इसे देखते हुए भाजपा ने अभी से जाट समुदाय को लुभाने की कोशिश शुरू कर दी है।

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जाट नेताओं पर भाजपा की नजर
मुख्य बातें
  • किसान आंदोलन से जाट समुदाय में भाजपा के खिलाफ नाराजगी दिखी है।
  • भाजपा को पश्चिमी यूपी में विधानसभा चुनाव में नुकसान झेलना पड़ा था।
  • उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राजस्थान से आते हैं।

Bhupendra Singh BJP UP President:पिछले दो हफ्ते के भीतर भारतीय जनता पार्टी ने दो अहम पदों पर जाट नेताओं को जिम्मेदारी दिलाई है। पहले उसने उप राष्ट्रपति पद के लिए जाट समुदाय से आने वाले बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया और वह निर्वाचित हुए। उसके बाद अब उसने उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य में प्रदेश अध्यक्ष पद पर भूपेंद्र सिंह की नियुक्ति की है। इन दोनों पदों पर नियुक्ति का सीधा मतलब है कि भाजपा जाट समुदाय को साधना चाहती है। खास तौर से यह देखते हुए कि 2024 के लोक सभा चुनाव और राजस्थान- हरियाणा विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

जगदीप धनखड़ और भूपेंद्र सिंह से क्या साधना चाहती है भाजपा

जगदीप धनखड़ की वैसे तो नियुक्ति उप राष्ट्रपति पद पर हुई है। लेकिन भाजपा उनके जरिए जाट समुदाय में बड़ा संदेश देना चाहती थी। शायद यही कारण है कि भाजपा ने कई अहम नामों को दरकिनार कर उन्हें उम्मीदवार चुना था। धनखड़ राजस्थान के झुंझनू के रहने वाले हैं। अगर चुनावी समीकरण देखा जाय तो 2023 में राजस्थान में चुनाव होंगे। और वहां पर जाट मतदाता काफी असरदार है। राजस्थान के झुंझनू, नागौर, सीकर, भरतपुर और जोधपुर क्षेत्र को जाट बेल्ट कहा जाता है। और राज्य में इनकी करीब 12-14 फीसदी आबादी है। 

इसी तरह हरियाणा में करीब 25 फीसदी जाट आबादी है। और वह करीब 35 सीटों पर सीधे असर डालता है। इसे देखते हुए भाजपा के लिए हरियाण के विधान सभा चुनाव, लोक सभा चुनाव के करीब होंगे। पिछले बार अक्टूबर 2019 में चुनाव हुए थे। ऐसे में हरियाणा में लोक सभा के साथ भी चुनाव हो सकते है। किसान आंदोलन के बाद उपजी नाराजगी की वजह से भाजपा के लिए वहां भी जाट समुदाय को साधना बड़ी चुनौती है।

अब बात भूपेंद्र सिंह की, जो कि भाजपा के पश्चिमी यूपी के प्रमुख जाट नेता है। जहां तक उत्तर प्रदेश में जाटों के समीकरण की बात है तो उनका राजनीतिक असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही ज्यादा है। और किसान आंदोलन और विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र में लगे झटके के बाद पार्टी के लिए जरूरी हो गया है कि वह 2024 के लोक सभा चुनाव के पहले जाट समुदाय को फिर से अपनी तरफ मजबूती से जोड़ सके। पश्चिमी यूपी में करीब 100 विधान सभा सीटें और 15-20 लोक सभा सीटें हैं, जहां पर जाट वोटर असर रखता है। इसके अलावा पश्चिमी यूपी के जाट समुदाय की हरियाणा के परिवारों में रिश्तें हैं। ऐसे में भूपेंद्र चौधरी पश्चिमी यूपी के साथ-हरियाणा में भी भाजपा के लिए कारगर हो सकते हैं।

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किसान आंदोलन के बाद जाट समुदाय नाराज

तीन कृषि कानूनों के विरोध में हुए किसान आंदोलन में जाट समुदाय की अहम भूमिका थी। उसका असर भाजपा को पश्चिमी यूपी में विधान सभा चुनाव के दौरान दिखा। जहां पर पहले चरण की  58 सीटों में से भाजपा 38 पर जीत हासिल कर पाई थी। जबकि 2017 में उसे 53 सीटें मिली थी। ऐसे में भाजपा को यह पता है कि जाट वोटरों को अगर वह साध ले तो न केवल वह पश्चिमी यूपी में मजबूत स्थिति में रहेगी, बल्कि उसका फायदा उसे हरियाणा और राजस्थान में भी मिलेगा।

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