- भाजपा ने 2019 के लोक सभा चुनाव 42 में से 18 सीटें जीतीं थीं।
- विधानसभा चुनाव के बाद कई नेताओं ने भाजपा का साथ छोड़ ममता बनर्जी का दामन थाम लिया है।
- 2024 के लोक सभा चुनावों के लिए भाजपा ने अब नई टीम पर दांव लगाया है।
BJP New Team West Bengal Strategy: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी से मिली हार के बाद मायूस और उथल-पुथल से भरी भाजपा में मंगलवार को नया उत्साह दिखा है। भाजपा ने ममता सरकार पर भ्रष्टाचार के लगे आरोपो के खिलाफ मार्च बुलाया था। इस मार्च में कई जगह हिंसक झड़पें हुईं और भाजपा के कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज भी कुछ जगहों पर हुए। पार्टी ने करीब एक साल बाद ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ कोई इस तरह का बड़ा प्रदर्शन किया है। संकेत साफ है कि भाजपा अब 2024 के लोक सभा चुनावों की ओर देख रही है। और उसे शिक्षक भर्ती घोटाले के रूप में बड़ी संजीवनी मिल गई है। अहम बात यह है कि भाजपा ने महज 5 दिन पहले (9 सितंबर) को ही बंगाल में नई टीम का गठन किया है। और उसने अपना पहला शो दिखा दिया है। नई टीम में भाजपा ने कई ऐसे समीकरण साधने की कोशिश की है, जो आने वाले दिनों तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।
मंगल पांडे बने प्रभारी
पार्टी ने 9 सितंबर को पश्चिम बंगाल का प्रभारी बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मंगल पांडे को सौंपा है। और उनकी मदद के लिए आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को सह प्रभारी बनाया गया है। पार्टी को उम्मीद है कि मंगल पाण्डेय बंगाल में पार्टी का जनाधार मजबूत करेंगे और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बंगाल से पार्टी के और ज्यादा सांसदों को जीत दिलाने में मदद करेंगे। इसी तरह अपने सोशल मीडिया पर तीखे हमले करने वाले भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को सह प्रभारी बनाया गया था।
इसके अलावा पार्टी ने मोदी -अमित शाह के भरोसेमंद और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी बंगाल में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के साथ जोड़ा गया है। वहीं ममता बनर्जी के खिलाफ महिला चेहरे के रूप में स्मृति ईरानी भी बंगाल में सक्रिय रहेंगी। इसी तरह पार्टी ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्या सिंधिया, पंकज चौधरी, हरदीप सिंह पुरी, रामेश्वर तेली जैसे प्रमुख नेताओं को बंगाल में उतारने की तैयारी कर ली है।
पिछली बार 42 में से 18 में मिली थी जीत
भाजपा ने 2019 के लोक सभा चुनाव में पहली बार बड़ी सफलता हासिल की थी। और उसे 42 में से 18 सीटें मिल गईं थीं। और 2021 के विधानसभा चुनाव में वह 77 सीट जीतकर मुख्य विपक्षी दल बन गई। ऐसे में पार्टी एक बार फिर नई टीम के जरिए 2019 से बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद कर रही है। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने 30 से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। लेकिन जिस तरह 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी में भगदड़ मची, वह भाजपा जैसी कैडर वाली पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गया था।
ममता ने भाजपा को दिए कई झटके
भाजपा इस बार विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की हैट्रिक पर ब्रेक नहीं लगा पाई। और वह अच्छा प्रदर्शन करने के बाद, 77 सीटें ही जीत पाई थी। लेकिन सत्ता से दूर रहने के बाद भाजपा में भगदड़ मच गई।राजीव बनर्जी, मुकुल रॉय, तन्मय घोष, विश्वजीत दास,सौमेन रॉय, आसनसोल के सांसद बाबुल सुप्रियो और अब बैरकपुर के सांसद अर्जुन सिंह ने भाजपा से किनारा कर लिया।
इसके अलावा पार्टी के अंदर भी कलह खुलकर सामने आई। 2021 के विधानसभा चुनावों में उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाने के कारण भाजपा ने लगातार कई प्रयोग किए। पहले उसने तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को उनके पद से हटा दिया। उसके बाद सुकांत मजूमदार को कमान सौंपी गई । लेकिन बदलाव के बावजूग पार्टी का उप चुनावों में प्रदर्शन फीका रहा है। अप्रैल में आसनसोल लोकसभा उप चुनाव और बालीगंज विधानसभा उप चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।
आसनसोन से जहां तृणमूल नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी की अग्निमित्रा पॉल को हराया। वहीं बालीगंज विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी छोड़कर तृणमूल का दामन थाम चुके बाबुल सुप्रियो ने भाजपा नेता को शिकस्त दी।इसके अलावा पार्टी में पुराने कैडर और तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को लेकर भी मतभेद उभर गए। जिसका असर भी पार्टी की एकजुटता पर दिखा। ऐसे में अब देखना है कि नई टीम का पहले शो का जोश 2024 तक बरकरार रहता है और वह दीदी के नए दांव के लिए कितनी मजबूती से खड़ी रहती है।