- उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की एक सीट के लिए नो नवंबर को होगा चुनाव, 11 को आएंगे नतीजे
- 11 में से 10 सीटों पर भाजपा का जीतना तय माना जा रहा है, एक सीट सपा के खाते में जा सकती है
- 10 सीटें जीतने के बाद राज्यसभा में भाजपा की ताकत बढ़ जाएगी, अभी उसके पास राज्यसभा में बहुमत नहीं
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 और उत्तराखंड की एक सीट के लिए चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है। इन सीटों के लिए नौ नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 11 नवंबर को आएंगे। इन चुनाव में भाजपा के राज्यसभा सदस्यों की संख्या बढ़नी तय मानी जा रही है। उत्तर प्रदेश की 10 सीटों में भाजपा नौ सीटें जीत सकती है जबकि एक सीट सपा के हिस्से में जा सकती है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि भाजपा अपने तीन सदस्यों हरदीप सिंह पुरी, अरुण सिंह और नीरज शेखर को दोबारा उच्च सदन भेजेगी और बाकी बची सीटों पर नए चेहरों को मौका मिल सकता है।
रामगोपाल यादव को राज्यसभा भेजेगी सपा
वहीं, समाजवादी पार्टी रामगोपाल यादव को राज्यसभा भेजेगी। सपा के पास एक ही सदस्य को उच्च सदन भेजने का संख्याबल है। जबकि बसपा इस स्थिति में नहीं है कि वह अपने कोटे से किसी सदस्य को राज्यसभा भेज सके। उत्तर प्रदेश में भाजपा अपने दम पर कम से कम आठ सीटें जीत सकती है। इसके बाद भी उसके पास 24 वोट बचेंगे। नौवें सदस्य को जिताने के लिए भाजपा को 12 अतिरिक्त वोटों की जरूरत होगी। इसके लिए वह एसबीएसपी जैसी छोटी एवं क्षेत्रीय दलों से संपर्क कर सकती है।
एसबीएसपी के पास चार विधायक
एसबीएसपी के पास चार विधायक हैं। भाजपा के लिए अच्छी बात यह है कि विपक्षी दल नौवें सीट के लिए यदि एक साथ आ भी जाते हैं तो उनके पास अपने सदस्य को जिताने के लिए पर्याप्त वोट नहीं होगा। चूंकि राज्य में विधानसभा चुनाव होने में ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में विपक्षी दल भाजपा उम्मीदवार को अपना समर्थन देने से दूरी बनाना चाहेंगे। इस देखते हुए इस बात की संभावना ज्यादा है कि भाजपा किसी निर्दलीय उम्मीदवार को अपना समर्थन दे सकती है। भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार क्षेत्रीय दलों का समर्थन मांग सकता है।
राज्यसभा में मजबूत होगी भाजपा
उत्तर प्रदेश और उत्तरांखड से भाजपा यदि 10 सीटें जीतने में सफल हो जाती है तो यह उसकी बड़ी कामयाबी होगी। इससे राज्यसभा में उसे काफी मजबूती मिलेगी। उच्च सदन में विधेयक पारित कराने के लिए अभी उसे क्षेत्रीय दलों के सहयोग की जरूरत पड़ती है। लोकसभा में बहुमत रखने वाली भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है। उच्च सदन में भाजपा के पास 86 सदस्य हैं और एनडीए के कुल 103 सांसद हैं।