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ब्लैक फंगस का छोटी आंत पर असर, सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर बोले- दुर्लभ मामला

Updated May 22, 2021 | 16:10 IST

अभी तक ब्लैक फंगस का असर आंख गाल या सिरदर्द के तौर पर सुनने को मिली है। लेकिन सर गंगाराम अस्पताल के मुताबिक कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस का असर छोटी आंत पर भी पड़ा है।

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सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों का ब्लैक फंगस के बारे में बड़ा बयान
मुख्य बातें
  • ब्लैक फंगस का छोटी आंत पर असर, सर गंगाराम अस्पताल ने दी जानकारी
  • पोस्ट कोविड बाद ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ा, आठ राज्यों में महामारी घोषित
  • बिना परामर्श डॉक्टरों ने स्टेरॉयड ना खाने की सलाह दी

एक तरफ देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहा है तो दूसरी तरफ ब्लैक फंगस यानी म्यूकोर्मिसिस का भी कहर है। ब्लैक फंगस के खतरे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश के आठ राज्य इसे महामारी घोषित कर चुके हैं। ब्लैक फंगस की वजह से आंखों का लाल हो जाना, गले में सूजन या सिर में दर्द की लोग शिकायत कर रहे हैं। लेकिन दिल्ली के गंगाराम अस्पताल ने जो जानकारी दी है वो हैरान करती है। 

ब्लैक फंगस का स्माल इंटेस्टाइन पर असर
सर गंगाराम अस्पताल के मुताबिक  ब्लैक फंगस का असर स्माल इंटेस्टाइन पर पड़ा है जो अपने आप में दुर्लभ मामला है। गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर उशस्त धीर ने दो मरीजों का हवाला भी दिया।  वो बताते हैं कि दिल्ली निवासी श्री कुमार (56 वर्षीय) ने अपनी पत्नी सहित अपने परिवार के 3 सदस्यों को कोविड से खो दिया था। जब कुमार अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार कर रहे थे तो उनके पेट में भयंकर दर्द था। उनकी भी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव थी और लक्षण भी थे। पहले उन्होंने पेट दर्द को गैस्ट्राइटिस/ तनाव माना और एसिडिटी के लिए खुद दवा ली। लेकिन कोई फायदा होने की जगहल सही इलाज में तीन दिन की देरी हो गई। 

छोटी आंत में हुआ था छेद
डॉ उषास्त धीर ने कहा कि सीटी स्कैन से पता चला कि उसकी छोटी आंत (जेजुनम) में छेद हो गया था। वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता होने पर बीमारी और खराब हो गई थी। मरीज को  सर्जरी के लिए तत्काल भर्ती कर लिया गया। डॉ धीर के अनुसार, "रोगी में जेजुनम ​​(छोटी आंत का पहला भाग) के अल्सरेशन ने मेरी कवक रोग का संदेह और रोगी को तुरंत ऐंटिफंगल उपचार पर शुरू किया गया था। आंत का छोटा सा हिस्सा बायोप्सी के लिए निकाली गई ।

स्टेरॉयड का असर
इसी तरह 68 वर्षीय मिस्टर एजाज का परिवार यह जानकर खुशी से झूम उठा कि उनके पिता कोविड से ठीक हो गए हैं।लेकिन उन्हें पेट में हल्का दर्द होने लगा। वह एक मधुमेह रोगी थे और उन्हें के इलाज के लिए स्टेरॉयड दिया गया था। रोगी को बुखार नहीं था और दर्द बहुत हल्का था। लेकिन, संदेह के आधार पर डॉ पीयूष रंजन, वरिष्ठर गंगा राम अस्पताल नई दिल्ली में मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के सलाहकार ने मरीज की सीटी स्कैन काई। सीटी स्कैन में पहले वाले की तरह ही छोटी आंत में परेशानी का पता चलाष बायोप्सी ने दोनों रोगियों में छोटी आंत के म्यूकोर्मिकोसिस की पुष्टि की।

इन दोनों रोगियों को कोविड था डायबीटिज की वजह से एक को स्टेरॉयड प्राप्त हुआ था।इन दोनों रोगियों का ऑपरेशन डॉ उषास्त धीर द्वारा किया गया, जिन्होंने खुलासा किया कि इन रोगियों के अंतःक्रियात्मक निष्कर्ष समान थे, जहां छोटी आंत (जेजुनम) के पहले भाग में डायवर्टीकुला औरये डायवर्टिकुला आसपास के अल्सरेशन के साथ छेद हो गए थे।

​म्यूकोर्मिकोसिस में इन अंगों पर पड़ता है असर
म्यूकोर्मिकोसिस में आमतौर पर राइनो-ऑर्बिटल-सेरेब्रल सिस्टम या फेफड़े शामिल होते हैं। आंतों या जीआई म्यूकोर्मिकोसिस बहुत दुर्लभ बीमारी है और इसमें आमतौर पर पेट या बड़ी आंत शामिल होती है। इनअधिकांश रोगी प्रतिरक्षा-समझौता करते हैं। अधिकांश गैस्ट्रो-आंत्र म्यूकोर्मिकोसिस में देखा जाता है। जीआई म्यूकोर्मिकोसिस दुर्लभ है और रोगी अस्पष्ट पेट के लक्षणों के साथ सामने आता है। हाल के दिनों मेंस्टेरॉयड के साथ उपचार के साथ-साथ कोविड जोखिम का इतिहास एक प्रारंभिक सीटी स्कैन की गारंटी देता है
 

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