- बच्चों में भी ब्लैक फंगस का मामला सामने आया है
- कर्नाटक में 2 बच्चों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं
- इनमें से एक बच्चे की आंख डॉक्टर्स को निकालनी पड़ी
बेंगलुरु : कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर में ब्लैक फंगस एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है। देखते ही देखते इसने दूसरी महामारी का रूप ले लिया है। ब्लैक फंगस के मामले कोरोना वायरस संक्रमण से पीड़ित और इससे ठीक हो रहे कई मरीजों में देखे गए। अब जानलेवा ब्लैक फंगस का मामला बच्चों में भी देखा गया है। कर्नाटक में दो बच्चों में यह मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।
कर्नाटक के चित्रदुर्ग और बेल्लारी से बच्चों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं। दोनों बच्चों का उपचार फिलहाल उपचार चल रहा है। जिन दो बच्चों में ब्लैक फंगस के मामले आए हैं, उनमें से एक की उम्र 11 साल और दूसरे की 14 साल है। 11 साल का बच्चा चित्रदुर्ग से ताल्लुक रखता है, जिसकी जान बचाने के लिए डॉक्टर्स को उसकी आंख निकालनी पड़ी। 14 साल की जिस बच्ची में ब्लैक फंगस का मामला सामने आया है, वह बेल्लारी से ताल्लुक रखती है।
कोविड से संक्रमित हुए थे दोनों बच्चे
यह कर्नाटक में ब्लैक फंगस का पहला मामला बताया जा रहा है। दोनों बच्चे टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बताए जा रहे हैं और 15 दिन पहले ही इसकी पुष्टि हुई थी। उनमें संक्रमण दिमाग और आंखों तक पहुंच गया बताया जा रहा है। 11 वर्षीय बच्चे को बुखार के बाद एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसे टाइप 1 डायबिटीज होने की पुष्टि हुई। उसे पूर्व में कोविड-19 का संक्रमण हुआ था, जिसकी जानकारी एंटीबॉडी टेस्ट से सामने आई।
बेल्लारी की जिस 14 वर्षीया लड़की में यह मामला सामने आया है, उसे कोविड-19 के इलाज के लिए बेल्लारी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन जब उसे अस्पताल से छुट्टी दी जा रही थी, उसने आंखों में दर्द की शिकायत की, जिसके बाद डॉक्टर्स को फंगल इंफेक्शन का अंदेशा हुआ और अंतत: इसकी पुष्टि हुई।